रिपोर्ट-प्रशान्त कौशिक डिंगर माजरा का फाइव पोंड* सरकार ने बताया था फाइव पोंड के सौंदर्यीकरण का प्रावधान, फाइव पोंड पर फैला गंदग...
रिपोर्ट-प्रशान्त कौशिक
डिंगर माजरा का फाइव पोंड*
सरकार ने बताया था फाइव पोंड के सौंदर्यीकरण का प्रावधान, फाइव पोंड पर फैला गंदगी का आलम
*घरौंडा* डिंगर माजरा गांव में बनाया गया फाइव पोंड सिस्टम पंचायत व पंचायतीराज विभाग की अनदेखी का शिकार हो चुके है। सरकार के दिशा निर्देशों के मुताबिक, पोंड पर इंटरलोक पटरी, सुंदर गमले, पेड़-पौधे, बैठने के लिए बैंच व पोंड के किनारों पर हरी-हरी घास लगाने का प्रावधान किया गया था, ताकि ग्रामीणों घुमने-फिरने के लिए पार्क जैसा माहौल मिले। लेकिन सरकार के दावे हकीकत से परे है। पोंड सिस्टम पर हरियाली तो दूर इसकी साफ-सफाई हुए भी कई साल गुजर चुके है। पोंड पर बड़ी-बड़ी झाडिय़ों का साम्राज्य है। आस पास गंदगी के ढेर लगे हुए है लेकिन इसकी तरफ ना तो पंचायत का ध्यान है और ना ही पंचायती राज विभाग के अधिकारियों का। पोंड पर पसरी गंदगी से ग्रामीणों में पंचायत और विभागीय अधिकारियों के प्रति रोष है।
फाइव पोंड बनने से पूर्व डिंगर माजरा गांव के तालाब के हालात बद से बदतर हो चुके थे। तालाब का गंदा पानी सड़कों और गलियों पर खड़ा रहता था। बारीश के दिनों में तो पानी घरों तक घुस जाता था। सरकार ने कई साल पहले गांवों के तालाबों की दुर्गत सुधारने के लिए थ्री पोंड और फाइव पोंड सिस्टम शुरू किया। जिसके तहत लाखों रुपए की लागत से फाइव पोंड का निर्माण किया गया। इसके साथ ही सरकार ने तालाब के आसपास के क्षेत्र में सौंदर्यकरण को भी बढ़ावे देने की योजना तैयार की थी लेकिन यह योजना विभागीय अधिकारियों की अनदेखी का शिकार हो गई। सौंदर्यीकरण तो दूर तालाब की आज तक ढंग से सफाई भी नहीं हुई।
डिंगर माजरा के ग्रामीणों का कहना है कि फाइव पोंड बनने के बाद उनकी एक बहुत बड़ी समस्या का समाधान हुआ। तालाब सड़क के किनारे होने के कारण कई बड़े हादसे भी हुए और कई लोगों की जान भी गई थी। सरकार ने जिस तरह से फाइव पोंड सिस्टम का प्रारूप तैयार किया था, उसको मेनटेन करने में पंचायती राज व पंचायत सफल नहीं हो पाए। लोगों को तालाब पर घुमने फिरने का मौका मिले, इसके लिए यहां पर सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देना था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पोंड के निर्माण पर लाखों खर्च कर दिए गए लेकिन सौदर्यीकरण पर कुछ भी खर्च नही किया गया। आलम यह है कि फाइव पोंड पर आने से भी कतराते है। ग्रामीणों में विभागीय अधिकारियों के प्रति रोष है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार जिस तरीके से पोंड सिस्टमों को विकसित करना चाहती थी, उनको विकसित किया जाना चाहिए ताकि लोगों को एक खुशनुमा माहौल मिले।
वर्जन-
गांव डिंगर माजरा का फाइव पोंड एक्सईएन प्लान के तहत बनाया गया था। इसकी देखरेख के लिए उनके पास विभाग की तरफ से कुछ लिखित में नहीं आया। तालाब का बुरा हाल है। पंचायत जनहित में इसकी साफ सफाई का कार्य मनरेगा के तहत करवाएगी। जिसके लिए एस्टीमेट तैयार कर लिया गया है और काम शुरू हो गया है।
-अमर सिंह, सरपंच, ग्राम पंचायत डिंगर माजरा
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