रिपोर्ट - भैरु सिंह राठौड़ भीलवाड़ा, राजस्थान। एक लोकतांत्रिक देश में प्रत्येक नागरिक का कल्याण, योग्यता का सम्मान व समानता का मौलिक अधिका...
रिपोर्ट - भैरु सिंह राठौड़
भीलवाड़ा, राजस्थान।
एक लोकतांत्रिक देश में प्रत्येक नागरिक का कल्याण, योग्यता का सम्मान व समानता का मौलिक अधिकार अनिवार्य रूप से लागू किया जाना आवश्यक है जिससे रामराज्य का सपना साकार हो सके। आज मीडिया से उपरोक्त बातें करते हुए पीडब्ल्यूएस परिवार के संस्थापक आर के पाण्डेय एडवोकेट ने कहा कि विगत 73 वर्षों से भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से वर्तमान राजनीतिज्ञ तक सब आमजनमानस को रामराज्य का सपना दिखाते हैं लेकिन सबसे पहले जरूरी है कि ये राजनीतिज्ञ पहले स्वयं रामराज्य के बारे में पढ़ें। उन्होंने बताया कि रामायण में वर्णित रामराज्य के अनुसार उस समय प्रत्येक नागरिक का कल्याण सुरक्षित था, योग्यता का सम्मान होता था व समानता का व्यवहार होता था परन्तु स्वतन्त्र भारत में संविधान की गलत आड़ में चारो तरफ जतिवादी वोट बैंक के चलते असमानता है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण तहसील से जाति प्रमाण पत्र जारी करना, जातिगत आरक्षण, दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक, महिला आदि आयोगों का गठन व केवल उसी वर्ग को लाभ देने की योजनाएं हैं। वरिष्ठ समाजसेवी अधिवक्ता आर के पाण्डेय ने पूछा कि क्या सामान्य वर्ग के लोग इस देश के नागरिक नहीं है व यदि हाँ तो उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों होता है? यह बड़ा ही विचित्र व देश के लिए हानिकारक है कि जातिगत आरक्षण के आड़ में योग्य प्रतिभाओं का अपमान करके अयोग्य लोगों को तरजीह दिया जा रहा है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण लगभग 90% प्राप्तांक की जानबूझकर घोर उपेक्षा करके लगभग 33% व उससे भी कम प्राप्तांक वाले की नियुक्ति कर देना है जिससे अयोग्य लोगों को जॉब मिलने से देश का विकास प्रभावित है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार सभी आयोगों को खत्म करके एक राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग बनाकर कार्य करे। उन्होंने कहा कि आज की आवश्यकता है कि सभी राजनीतिज्ञ रामायण में वर्णित रामराज्य को पहले स्वयं पढ़ें व अमल करें तब रामराज्य का सपना देखें। देश में यदि रामराज्य का सपना साकार करना है तो सबसे पहले समानता का मौलिक अधिकार अनिवार्य रूप से लागू करते हुए प्रत्येक भारतीय नागरिक के कल्याण की योजना बनाकर उसे अमल में लाना होगा व प्रत्येक योग्य प्रतिभावान नागरिक को उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी व व्यवसाय की व्यवस्था लागू करनी ही होगी। उन्होंने समाज के लोगों का आह्वान किया कि वे विचार - विमर्श करें कि देश में 73 वर्षों में गरीबी व भुखमरी खत्म क्यों नही हुई जबकि इन्ही मुद्दों पर राजनीति करने वाले तमाम नेता अरबपति बन गए! इस बात पर गहन मंथन करने की आवश्यकता है!
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