*रिपोर्ट अमित अग्रवाल जिला विदिशा मध्यप्रदेश* नगर का शासकीय जन चिकित्सालय हमेशा अपनी अव्यवस्थाओं के लिए सुर्खियों में बना रहता...
*रिपोर्ट अमित अग्रवाल जिला विदिशा मध्यप्रदेश*
नगर का शासकीय जन चिकित्सालय हमेशा अपनी अव्यवस्थाओं के लिए सुर्खियों में बना रहता है । ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है जहां अपनी पत्नी का इलाज कराने पहुंचा युवक स्टाफ की मनमानी के चलते स्वयं ही मरीज बन गया। जी हां यह सुनकर आपको यह बात गले नहीं उतर रही होगी लेकिन मामला शासकीय राजीव गांधी जन चिकित्सालय का है, जहां एक युवक लापरवाही का शिकार बन गया और हॉस्पिटल परिसर में ही उसका हाथ फैक्चर हो गया। आनन-फानन में उस युवक को कच्चा प्लास्टर चढ़ाकर विदिशा रेफर कर दिया गया। वैसे जन चिकित्सालय में हड्डी रोग विशेषज्ञ का पद कई वर्षों से खाली पड़ा हुआ है और अब एक्स रे मशीन ने भी काम करना बंद कर दिया है। मामले को संज्ञान में लेते हुए चिकित्सालय प्रभारी ने लापरवाह कर्मचारियों को नोटिस देने की बात कही है।
बुधवार को शहर के शासकीय राजीव गांधी जन चिकित्सालय परिसर में लापरवाह कर्मचारियों की बदौलत एक स्वस्थ व्यक्ति का हाथ फैक्चर हो गया, और एक गर्भवती महिला के साथ दुर्घटना घटित होने से बाल बची बहीं मरीज और परिजनों को डॉक्टर एवं स्टाफ की अभद्रता का शिकार भी होना पड़ा। आपको बता दें कि ग्राम पचमा के जितेंद्र नामदेव अपनी गर्भवती पत्नी सुनीता नामदेव को शासकीय चिकित्सालय में उपचार के लिए लाए हुए थे। जहां सुनीता को जांच के लिए ब्लड सैंपल देना था , सैम्पल के लिए महिला चिकित्सकों और नर्सों ने गर्भवती महिला को नौ नंबर रूम यानी पैथोलॉजी लैब में भेजा, जितेंद्र अपनी पत्नी के साथ पैथोलॉजी लैब कक्ष में जैसे ही पहुँचा , वहां मौजूद स्टाफ ने उन्हें पैथोलॉजी कक्ष के पीछे बनी खिड़की पर आने को कहा और कहां सैंपल वहीं से लिए जाएंगे। पैथोलॉजी लैब के पीछे बनी खिड़की के आसपास पानी पर रहा था और जमीन पर काई लग रही थी गर्भवती महिला को सुरक्षित खिड़की तक पहुचाने साथ गए उसके पति का पैर जैसे ही उस पानी पर पड़ा, वह व्यक्ति फिसल गया और उसका हाथ टूट गया। बताया जाता है कि जितेंद्र की हाथ की हड्डी टूट गई है, और ऑपरेशन तक की नौबत आ गई।
भगवान भरोसे चल रहे राजीव गांधी जन चिकित्सालय की एक्स रे मशीन भी खराब पड़ी हुई है, वही हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं है ऐसे में उस घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार कर कच्चा प्लास्टर चढ़ा दिया। और मीडिया के दखल के बाद उसे विदिशा रेफर कर दिया गया। जितेंद्र ने बताया कि चिकित्सक और स्टाफ अभद्रता कर रहे थे। जिससे उसे शारीरिक पीड़ा के साथ-साथ मानसिक पीड़ा भी झेलना पड़ी। अगर पैथोलॉजी लैब के कर्मचारी उसे पीछे खिड़की पर नहीं बुलाते तो शायद यह हादसा नहीं होता लेकिन । जितेंद्र खुद घायल हो गए हैं ऐसे में गर्भवती महिला की कैसे देखभाल करेंगे यह तो अब भगवान भरोसे ही है। मामले को बिगड़ता देख अस्पताल प्रबंधन पानी पड़े हुए जगह पर सफाई करना प्रारंभ कर दिया था।
फिलहाल इस मामले में जब राजीव गांधी चिकित्सालय के प्रभारी रविंद्र चिढ़ार से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की लापरवाही कर्मचारियों के साथ की गई है तो तुरंत उन पर कार्रवाई की जाएगी।।
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