रिपोर्ट सुनील श्रीवास्तव जौनपुर, उत्तर प्रदेश। जौनपुर एक जमाना था जब पत्रकारों से मिलने के लिए जिले का कलेक्टर और एसपी समय लिया करते थे ...
रिपोर्ट सुनील श्रीवास्तव
जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
जौनपुर एक जमाना था जब पत्रकारों से मिलने के लिए जिले का कलेक्टर और एसपी समय लिया करते थे महाराज पत्रकार खुद ही उनके आगे पीछे घूमते रहते है इसके पीछे हमारी कोई न कोई स्वार्थ छुपी रहती है इसकी वजह से आज पत्रकारों की जमीन एक तरह से खूंटी पर टंगी हुई है आज अधिकतर पत्रकार खबर के नाम पर प्रशासनिक अधिकारियों पुलिस अधिकारियों के पास डेरा डाले दिखाई देते हैं मानो या ना मानो वही अपने को बहुत बड़ा पत्रकार साबित कर लेते हैं बाकी पत्रकार और पत्रकार संगठनों को अधिकारियों से निष्क्रिय बना कर अपने आपको जिले का सबसे बड़ा पत्रकार साबित करते हैं हर वक्त अधिकारियों को गुमराह करके अधिकारियों के नाम पर मोटी रकम कमाने का रास्ता बनाए जाते हैं जिसके वजह से सत्य व निर्भीक लिखने वाले पत्रकार को अपनी पत्रकारिता की कुर्बानी देनी पड़ रही है जगह जगह पत्रकार बंधु संवाददाता चाहे छोटा हो या बड़ा सबको अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ती है रात दिन धूप बरसात में दौड़ कर सच्ची खबर निकालने वाले पत्रकार को अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ती है और उनके घर वाले अनाथ हो जाते हैं और नहीं तो मलहम पट्टी लगाने वाले तमाम नेता गण उत्तर प्रदेश के सभी पत्रकारों को सांत्वना देकर खुश कर देते हैं तब तक दूसरा पत्रकार बंधु तैयार हो जाता प्रशासन मुक दर्शक बन कर तमाशा देखती है।
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