सुशील सिंह आज देश की स्थिति किसी से छुपी नहीं है बढ़ती महंगाई बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है मध्यमवर्गीय का जीना मुश्किल हो रहा है...
सुशील सिंह
आज देश की स्थिति किसी से छुपी नहीं है बढ़ती महंगाई बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है मध्यमवर्गीय का जीना मुश्किल हो रहा है और निजीकरण के स्कूल अभिभावकों को परेशान करने पर उतारू है साथियों विचार करिए क्या देश निजी करण होने से देश में विकास बढ़ेगा बिल्कुल नहीं जो अपने घर की सुरक्षा नहीं कर सकते वह निजी करण में क्या सुरक्षा देंगे आज देश का कोई भी ऐसा भी विभाग नहीं है जो निजी करण की डर से सहमे हुए हैं किसी भी देश की स्थिति निजी करण से नहीं सुधर सकती अपनी कमियों को छुपाने के लिए सरकारें निजी करण की तरफ धकेल रही है जो अच्छी बात नहीं है देश के सिस्टम को सुधारना है तो सबसे पहले देश के सभी विधायक और सांसदों की पेंशन को बंद किया जाए और उस पैसे से देश के विकास में लगे तब देश का निजीकरण करने का विचार सरकार को करना चाहिए पहले खुद को सुधारें तब सरकारी विभाग को सुधारने में लगे देश में जनता ही सरकार बनाती है यह बात सरकार को जरूर सोचनी चाहिए
अगर आप रेलकर्मी नहीं भी हैं और आपको लगता है कि रेल का निजीकरण हमारी नहीं है तो यकीन मानिए आप न केवल अपने महान देश भारत का भविष्य चौपट कर रहे हैं अपितु अपना एवं अपने बाल बच्चे का भविष्य भी अंधकारमय बनाने में आपकी भूमिका 100% है। भारतीय रेल न केवल भारत की सबसे बड़ी परिवहन व्यवस्था है, अपितु यह सबसे बड़ा रोजगार देने वाला सेक्टर भी है। अगर आज आप इस निजीकरण का विरोध नहीं कर रहे हैं तो यकीन मानिए आपके बाल बच्चे आई.आई.टी ,आई.टी.आई.तथा बी. टैक. कर ठेकेदारों के आगे नौकरी की भीख मांगने पर विवश हो जाएंगे। जिसके जिम्मेदार आप और हम ही होंगे।
मोदी जी हो या राहुल जी - नेतागण आएंगे- जाएंगे।
लेकिन देश का निर्माण देश के सार्वजनिक उपक्रमों से होता है और जब वह उपक्रम देश के नहीं रह जाएं तो फिर हम किस बात पर गर्व करेंगे।
आप किसी भी विचारधारा से प्रेरित हो, आप किसी भी दल के समर्थक हों- आज इस हो रहे निजीकरण का विरोध करिए। आइए फेसबुक पर, आइए व्हाट्सएप पर, आइए ट्विटर पर और भारतीय रेल के निजीकरण के विरोध में 2 पंक्तियाँ अवश्य लिखिए, लिख नहीं सकते हैं तो किसी दूसरे का पोस्ट शेयर जरूर करिए।
लेकिन कुछ करिए, क्योंकि देश का निर्माण देश की सार्वजनिक संपत्ति से होता है।
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