सुशील सिंह ▫️ राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत ▫️शिक्षा-रोज़गार अधिकार अभियान-उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय ...
सुशील सिंह
▫️राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत
▫️शिक्षा-रोज़गार अधिकार अभियान-उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन भारत केंद्र सरकार और राज्य सरकार के छात्र-युवा विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ आज देशभर में मोमबत्ती, दिया, टॉर्च, मोबाइल फ़्लैश जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया
इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रभारी ज्ञान प्रकाश तिवारी ने कहा कि लॉक डाउन के दौरान ही दो करोड़ से ज़्यादा वेतनभोगी अपनी नौकरियाँ गवाँ चुके हैं। एनसीआरबी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार हर दिन 391 छात्र बेरोज़गारी से तंग आकर आत्महत्या करने को मजबूर है। 2018 में हर दिन स्वरोज़गार से जुड़े 36 नौजवानों ने भविष्य की अनिश्चितता की वजह से ज़िन्दगी की जगह मौत को चुना लेकिन स्टार्टअप इण्डिया का ख़्वाब बेचकर सत्ता में पहुँचने वाली केंद्र सरकार इन नौजवानों की असमय मौत पर क़ातिलाना चुप्पी मार कर बैठी हुई है। इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं बना रही है
हर साल 2 करोड़ रोज़गार पैदा करने का सपना दिखाकर सत्ता में आयी सरकार अब रहे-सहे रोज़गार के अवसरों को भी निगलती जा रही है। देश की जनता की मेहनत से खड़े किये गये पब्लिक सेक्टर को औने-पौने दामों में अपने आकाओं को सौंप रही है। 3 मार्च 2020 को लोकसभा में वित्त-राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार 28 सार्वजनिक उपक्रमों की हिस्सेदारी बेचने की सैद्धान्तिक मंज़ूरी दे दी गयी है। जिसमें ऐसी भी कम्पनियाँ हैं जो सालों से फ़ायदे में थीं और हर साल करोड़ों रुपये टैक्स के रूप में सरकार को देती भी थीं। आने वाले दिनों में छँटनी की मार सार्वजनिक और निजी दोनों ही सेक्टर में तेज़ होने वाली है।
9बजे9मिनट
सभी आम जनमानस से अपील है अपने बच्चों की भविष्य के लिए जागरूक हो और निजीकरण का विरोध करें किसी भी देश का विकास निजी करण करने से नहीं हो सकता है अपनी कमियों को छुपाने के लिए हम निजी करण में अपने देश को नहीं ढकेल सकतेहैं
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