भैरु सिंह राठौड़ *(बेतहाशा गंदगी की वजह से पत्रकार राठौड़ की पत्नी हो चुकी है सर्पदंश का शिकार)* भीलवाड़ा, राजस्थान जिले की आस...
भैरु सिंह राठौड़
*(बेतहाशा गंदगी की वजह से पत्रकार राठौड़ की पत्नी हो चुकी है सर्पदंश का शिकार)*
भीलवाड़ा, राजस्थान जिले की आसीन्द तहसील के कालियास कस्बे में जगह जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है! कस्बे के चार नंबर वार्ड में मेन रोड पर फैली बेतहाशा गंदगी के ढ़ेर से लोगों का निकलना दुभर हो रहा है! बरसात के मौसम में तो हालात और भी दुखदायी हो जाते हैं! पूरे कस्बे की नालियाँ कीचड़ के मारे नालों का रुप ले लेती है तो सड़कें तालाब में परिवर्तित हो जाती हैं! राहगीरों को उस समय में यह नहीं सूजता हैं कि यहाँ सड़क में गड्ढे है या गड्ढों में सड़क है! सफाई के नाम पर हर बर्ष आने वाला लाखों रुपए का बजट धरती खा गई या आसमां निगल गया! यह समझ से परे है! वार्ड नंबर 4 के मेन रोड पर तो इतनी अधिक गंदगी फैली हुई है कि रात्रि को सर्प आदि जैसे भंयकर विषैले जीव जन्तु लोगों के घरों के अंदर आने लगे हैं! अभी कुछ दिनों पहले एक विषैले काले नाग ने रात्रि को इसी गंदगी के चलते घर के अंदर आकर पत्रकार भैरु सिंह राठौड़ की पत्नी प्रेम कंवर को अपना शिकार बना लिया था! जिसका कि यहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होते हुए भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण पत्रकार राठौड़ की पत्नी को 44 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय पर महात्मा गांधी अस्पताल ले जाकर भर्ती करवाना पड़ा था! कालियास कस्बे में अब तक जितने भी जनप्रतिनिधि आए वो उनमें से कुछ अपवाद को छोड़कर वे सभी गाँव के विकास को भूलकर अपना घर बनाने में ज्यादा तल्लीन रहे हैं! बरसों से सरकारी पैसे की बंदरबाँट होती आई है! कालियास कस्बे में अब तक रहे जनप्रतिनिधि सरकारी पैसे की सिर्फ कस्बे में मुंह दिखाई करते आए हैं, जिसका नतीजा कुछ समय में ही उनकी व उनके चेले चपाटे की बेनाम बेस कीमती जमीन या उनके बैंक बैलेंस को देख कर लगाया जा सकता हैं! यह सरकारी पैसे की चोरी नहीं तो और क्या है कि पांच साल पहले चुनाव लड़ने वाले जिनकी औकात मुश्किल से साईकिल पर चलने की नहीं थी, वो आखिर पांच साल होते होते फोर व्हिलर्स के मालिक कैसे बन बैठे हैं! यह गहन चिंता का विषय है! यह तो मात्र एक बानगी भर है! अगर आने वाले सरकारी पैसे को सही तरह से सही जगह विकास पर लगाया होता तो कालियास कस्बे की तस्वीर और तकदीर कुछ अलग ही होती! सरकार से आने वाले सरकारी पैसे पर लार टपकाए चुनाव लड़ने की ताक में बैठे सरपंच उम्मीदवार यह कतई ना भूलें कि अब वो पहले वाली जनता नही है! अब इस जनता को विकास की उम्मीद के तराजू में तोलना और तराशना बखूबी आता है! इस बार कालियास कस्बे की जनता ना तो पैसे में बिकेगी और ना शराब में बिकेगी! और ना ही जनता किसी के बहकावे, बरगलाने, डराने, दबाव या प्रलोभन में आएगी! और ना ही किसी व्यक्ति विशेष के आग्रह या अनुनय - विनय पर झुकेगी! अब जनता मुहर लगाएगी तो सिर्फ "विकास" पर! इसलिए इस बार जनता की अदालत में सोच समझ कर जाएं! कहीं ऐसा ना हो कि जनता द्वारा ऐसी गोली मिले जो ना निगलते बने और ना उगलते!!
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