पंजशीर के लड़ाके मसूद ने विश्व समुदाय से शांति और लोकतंत्र की रक्षा के लिए मदद की अपील की । डा दिलीप कुमार झा पत्रकार गोड्डा झार...
पंजशीर के लड़ाके मसूद ने विश्व समुदाय से शांति और लोकतंत्र की रक्षा के लिए मदद की अपील की ।
डा दिलीप कुमार झा पत्रकार गोड्डा झारखंड ।
कल अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर ब्लास्ट जिसमे 103 से ज्यादा लोगों की मौत और 150से ज्यादा घायल दिल दहला देने वाली घटना है ।तालिबान आतंकी संगठन है 20वर्ष पूर्व भी वो आतंकी थे और आज भी वो आतंकी है।पहले रूस फिर अमेरिका जिन्होंने अफगानिस्तान को संरक्षण कम आतंकियों को ज्यादा फलने फूलने दिया और अमेरिका रूस चीन और पाकिस्तान ये चार देश अपने हथियारों किबिक्री को लेकर अपना बाजार तलाश करते रहे । अमेरिका ,रूस फ्रांस जर्मनी चीन । असलम फारूखी आई एस आई एस के के चीफ पाकिस्तानी नागरिक तालिबानी समर्थक पाकिस्तान के दत्तक पुत्र हैं।जो गजवाए हिंद को भारत में लागू करना चाहते हैं काबुल धमाके की जिम्मेदारी ली है । 13 अमेरिकी नौ सेना की मौत बम धमाके में हुई ।तालिबान की दोहा में हुई समझौते की धज्जियां उस वक्त उड़ गई जब तालिबान ने 31अगस्त तक अमेरिका को अपने सैनिकों को बुलाने की अंतिम तारीख दे दी है ।ब्रिटेन ने जी 7 की बैठक बुलाई लेकिन अपनी अपनी डफली अपना अपना राग के साथ अपने राष्ट्र के लिए फायदे और नुकसान को लेकर नीति है । भारत बार बार हर मंच पर ये मांग कर रहा है अंतरराष्ट्रीय समुदाय आतंकवाद के खिलाफ एक जुट हों ।लेकिन इसका कोई असर जी7, नाटो,सुरक्षा परिषद, विश्व शांति संगठन पर इसका कोई असर नहीं है ।इनकी नीतियां हैं कमजोर और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए राष्ट्रों में आतंकवादी संगठनों को मजबूत कर अशांति और विद्रोह ,गृहयुद्ध की स्थिति पैदा कर अपने हथियारों की बिक्री करना । शांति की बात वही करते हैं जो कमजोर होते हैं ।और जो खुद कमजोर होते हैं वो मदद के लिए शक्तिशाली राष्ट्रों का दामन थाम लेते हैं लेकिन उनकी सुनता कोई नही ।विश्व शांति की बात भारत ही कर सकता है पाकिस्तान नही ।पाकिस्तान ने आतंकियों की फौज खड़ी कर रखी है औरआईएसआईएस ,तालिबान,हिजबुल मुजाहिदीन,हक्कानी,लश्करे तायबा,आदि और भी कई लड़के संगठन हैं ।अफगानिस्तान पर कब्जा तालिबान का नहीं दरअसल पाकिस्तान का हुआ है। और ये खेल शह और मात की है ।तालिबान और पाकिस्तान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं ।८५ अरब डॉलर के हथियार तालिबानियों के हाथों में सौंप कर आए हैं ये हिंदुस्तान के लिए अपनी नीतियों में बदलाव का समय है । पीओके में पाकिस्तान अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए तालिबान को युद्ध क्षेत्र में उतारेगी और हिंदुस्तान को एक बार फिर बड़ी लड़ाई लड़नी होगी ।
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