विश्व युवा दिवस पर विशेष लेख युवा होने का क्या अर्थ होता है? क्या एक विशेष उम्र में होना ही युवा होना होता है? हमारा देश वास्तव में युवाओं क...
विश्व युवा दिवस पर विशेष लेख
युवा होने का क्या अर्थ होता है? क्या एक विशेष उम्र में होना ही युवा होना होता है? हमारा देश वास्तव में युवाओं का देश है? क्या युवा होने का संबंध केवल शरीर की अवस्था से है?
यदि युवा होने का संबंध किसी शारीरिक अवस्था से है तो हमारे देश में भी युवा है, परंतु युवा होने का कोई भी संबंध शरीर की अवस्था से नहीं होता। युवा होने का अर्थ है चित्त की एक जीवंत दशा और बूढ़े होने का अर्थ है चित्त की मरी हुई दशा । उम्र से वृद्ध दिखने वाला भी युवा हो सकते हैं और उम्र से युवा दिखने वाला भी वृद्ध हो सकता हैं।
भारत में युवा पैदा भी होते हैं यह संदिग्ध बात है। हमारे युवाओं का चित्र जीवंत नहीं है। जो जीवन का उत्साह जीवन का संगीत हृदय की वीणा पर होना चाहिए वह नहीं है। हम जीवन को जानने से पहले ही जीवन से उदास हो जाते हैं । जानने से पहले ही जिज्ञासा की हत्या कर देते हैं । भारत के युवकों के मन में जीवन के अज्ञात सागरों को खोजने के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाई पड़ता, उसमें ना ही जीवन के अंधेरे को, ना जीवन के प्रकाश को, ना जीवन की गहराई को, ना जीवन की ऊंचाई को, ना जीवन की हार को, ना जीवन की जीत को, कुछ भी जानने का उत्साह नहीं दिखाई देता; वे केवल बनी बनाई लिक पर चलते जाते हैं। अतः भारत में युवा है यह कहना ठीक नहीं लगता।
भारत हजारों वर्षों से वृद्ध देश है यहां वृद्ध ही पैदा होते हैं, वृद्ध ही बड़े होते हैं और वृद्ध ही मर जाते हैं।
यदि भारत के पास युवा होते हैं तो देश में इतनी गंदगी, इतना सड़ा हुआ समाज, इतनी कुरीतियां, इतना पाखंड हो सकता था? युवाओं ने कब का इसे समाप्त कर दिया होता। यदि युवक सही अर्थों में देश में होते हैं तो भारत हजारों वर्षों तक गुलाम ना रहा होता युवा कभी का गुलामी को उखाड़ फेंक देता लेकिन ऐसा हुआ नहीं । युवक हमारे पास होते तो क्या इतना पाखंड और अंधविश्वास देश में चलता? क्या युवक बर्दाश्त करता युवा मस्तिष्क देश में नहीं है इसलिए किसी भी प्रकार की मूढ़ता हमारे देश में चलती है। देश में समाज को देखकर युवकों के होने का प्रमाण नहीं मिलता।
वह युवा ही क्या जिसके भीतर कुछ करने का उद्दाम वेग ना हो। युवक होने का अर्थ ही होता है जो बदलना चाहता हो, जो जीवन को नए दिशाओं में ले जाना चाहता हो, जो पाखंड को उखाड़ फेंकना चाहता हो, जो जीवन में क्रांति चाहता हो जो परिवर्तन चाहता हो।
एक जर्मन विचारक ने कहा कि “भारत अमीर देश है जहां गरीब लोग रहते हैं” सुनने मे यह विरोधाभासी वाक्य लगता है परंतु उसने ठीक ही कहा है भारत के पास युवा नहीं है जो भारत की छिपी हुई उर्जा रूपी धन को प्रगट कर दें।
यदि जवान मनुष्य भीख मांगता है तो हम कहते हैं की जवान होकर भीख मांग रहे हो शर्म नहीं आती लेकिन हमारा देश युवाओं का देश होकर भी दुनिया में कई क्षेत्रों में भीख मांगता है तो क्या हमें जवान कहने का अधिकार रह जाता?
परंतु भारत का मस्तिष्क पहले से ही पैदा करने के स्थान पर भीख मांगने को आदर देता रहा है। भारत में जो भीख मांगता है वो आद्रत् है उससे जो पैदा करता है। भारत में दान लेने वाले हमेशा पूजे जाते रहे हैं। भारत ने बुद्ध से लेकर विनोवा तक बड़े-बड़े भीख मांगने वाले महापुरुष पैदा किए हैं। मलूका जैसे लोग कह गए हैं “अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम दास मलूका कह गए सबके दाता राम” ऐसे संतो के मूढ़ बातों से हम विश्व में पीछे रह गए।
जो युवा होता है वह बुराइयों को मिटाने के लिए लड़ता है। जवानी केवल देखती नहीं लड़ती भी है । जवान जीवन व समाज की कुरूपता को स्वीकार नहीं करता बल्कि उसे सुंदर बनाने के लिए लड़ता है प्रयत्न करता है। परंतु भारत की जवानी तमाशबीन है समाज में कुछ भी हो रहा है, शोषण हो रहा है, बेवकूफियां हो रही है, अयोग्य लोग देश के सर पर चढ़े हैं, सब कुछ अजीब हो रहा है, युवा जानता भी है परंतु केवल देख रहा है और होने देता है यदि भारत में युवा होता तो क्या ऐसी मूढ़ता होने देता।
यदि युवक समाज की सारी कुरूप व्यवस्था के लिए राजी हो रहा है, चुपचाप मानता चला जा रहा है, उसके मन में ना कोई संदेह है, ना जिज्ञासा है, ना संघर्ष है, ना पुकार है, तो उसकी जवानी दो कौड़ी की है।
युवा तो संघर्ष करता है। हां संघर्ष बुरे के लिए भी हो सकता है तब जवानी कुरूप हो जाती है, संघर्ष अंधेरे के लिए हो सकता है तब जवानी आत्मघात कर सकती है; परंतु जब संघर्ष सत्य के लिए, श्रेष्ठ के लिए, सुंदर के लिए होती है तब जवानी सत्य, स्वस्थ व सुंदर होती चली जाती है। यदि युवा संघर्ष नहीं करेगा, केवल खड़ा रहेगा, तमाशा देखेगा तो खड़े-खड़े सड़ जाएगा और एक दिन मर जाएगा। उसके जीवन में व देश में कुछ भी नया नहीं होगा।
सत्य के लिए सुंदर के लिए जवानी जितनी लड़ेगी उतनी ही निखरेगी। जब भारत का युवा संघर्ष व सत्य के मार्ग पर बढ़ेगा तब ही सही अर्थों में देश युवा होगा।
बागीश धर राय (इतिहास शोधार्थी)
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