*!! साहित्य की ताकत.....!!* (हिंदी दिवस विशेष) मातृभाषा अपनी हिंदी वेद अवतरित वाणी है । उन्नति का आधार यही है जिससे जुड़ा...
(हिंदी दिवस विशेष)
मातृभाषा अपनी हिंदी
वेद अवतरित वाणी है ।
उन्नति का आधार यही है
जिससे जुड़ा हर प्राणी है ।।
रंग-रूप वेषभूषा से हटकर
यह संविधान की बिंदी है ।
एक सूत्र में सभी पिरोए
प्यारी भाषा हिन्दी है ।।
जाति-धर्म, संप्रदाय का बंधन
सदा तोड़ती हिंदी है ।
जन-जन की मीठी बोली है
भाषाओं की जननी है ।।
भाषाओं का मूल है हिन्दी
देवों की भी बोली भाषा है ।
सदा प्रेम-रस घोल रही है
सदियों से गूजित गाथा है।।
पूरब से पश्चिम तक फैली
जनमानस की मूल है हिन्दी ।
अपनी व्यापकता, सृजन से
श्रृंगार रसों का फूल है हिन्दी ।।
आओ मिलकर इसे सवारें
हिंदी का उत्थान करें ।
अपनी बोली,अपनी भाषा पर
आंनन्दित हों,अभिमान करें ।।
*_______ आर सी यादव*
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