खाई _खादी_ खाकी लेखक _सर्वजीत झा "अंतेवासी " मेरी नजर में _ डा० दिलीप कुमार झा, पत्रकार ,झारखंड । दार्शनिक दृष्टिकोण...
लेखक _सर्वजीत झा "अंतेवासी "
मेरी नजर में _ डा० दिलीप कुमार झा,
पत्रकार ,झारखंड ।
दार्शनिक दृष्टिकोण के साथ एक विचारक ,समाजसेवी,चिंतक,क्रांतिकारी विचारधारा पेशे से अधिवक्ता गहरे समुद्र से "गहरे ज्ञान के सागर से अनमोल रत्न लेकर निकला,।
ज्यों शेषनाग पाताल लोक से कर्णफूल लेकर निकला"।।
क्रांतिकारी विचार धारा पूर्वजों की विरासत है जो कभी शोषित नही सत्ता के विरुद्ध बगावत करने वाले क्रांतिकारी पिता स्व ० रणजीत झा जी के सुपुत्र हैं ।वंशानुगत संस्कार की छाया में पाला पोसा गया युवक निश्चित रूप से क्रांतिकारी अन्याय के विरुद्ध बगावत ,गरीबों मजलूमों की आवाज बनकर उभरेगी जिसका जीता जागता प्रमाण स्वयं लेखक है ।
लेखक अगर क्रांतिकारी है तो निश्चित रूप से उसका पहला आदर्श पिता होगा और जीवन में सामाजिक नेतृत्व की जब बात उठेगी तो वहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अलाबे कोई और हो ही नही सकता ।अपने देश की राजनीति में गुरु और प्रेरणाश्रोत दोनो की झलक लेखक को नेताजी में दिखी ।
नेताजी के आदर्श और चरित्र को अपने जीवन में उतार कर उनके बताए गए मार्ग पर बढ़ते चले गए लेखक सर्वजीत झा और नेता जी से संबंधित हर जानकारी को हर घटनाओं को हर कार्यक्रम को जाना, समझा,एक तादात्म्य स्थापित कर अपनी अंतरात्मा की आवाज को शब्दों की मर्यादाओं के साथ गरिमामय तरीके से पृष्टों पर उतारा ।
नेता जी ने अपना जीवन इन तीन किरदारों के रूप में जिया एक देशभक्त क्रांतिकारी आईसीएस की परीक्षा में सफल होकर भी ब्रिटिश सरकार की दासता से इंकार करते हुए राष्ट्रभक्ति के लिए समर्पित गांधी के आदर्शवाद के सिद्धांतों पर चलते हुए खादी धारी कांग्रेसी बने रहे ।
वक्त बदला सैद्धांतिक मतभेदों की खाई बनने लगी जो इतनी गहरी और चौड़ी हो गई जिसे पाटना असंभव था और खाई बनी रही ।
खाई और खादी की सीमाओं से मुक्त होकर आजाद हिंद फौज की स्थापना कर सेना नायक बन खाकी वर्दी से अलंकृत होकर भारत के पहले प्रधान मंत्री की घोषणा के साथ अंडमान निकोबार में राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर देश के स्वतंत्र होने की घोषणा की ।
लेखक की नेता जी के प्रति उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनके विचारों और सिद्धांतों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं ।
शुभमस्तु __
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