रिपोर्ट सुनीलमिश्रा केशवदास भारतीय जनमानस को और शिक्षा से लगाव रखने वालों को बहुत समय से नई शिक्षा प्रणाली का बेसब्री से इन्तजार...
रिपोर्ट सुनीलमिश्रा केशवदास
भारतीय जनमानस को और शिक्षा से लगाव रखने वालों को बहुत समय से नई शिक्षा प्रणाली का बेसब्री से इन्तजार था क्योंकि देश में बहुत समय से शिक्षा में क्रांति लाने के लिए शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन करके पूरे देश में "एक देश एक शिक्षा,, के नारे के साथ एक समान शिक्षा प्रणाली की माँग की जा रही थी पूरे देश का शिक्षा बोर्ड एक हो ,भाषा चाहे जो हो लेकिन पाठ्य विषय वस्तु सभी जगह सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में पूर्णतयः एक ही हो जिससे गरीब बच्चे एकलव्य और अमीर बच्चे पांडव न बन सके इस तरह शिक्षा में व्यवसायी करण कम हो जाएगा जिससे प्रतियोगिता का सबको समान अवसर प्राप्त हो जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय बच्चों व अभिभावकों को शिक्षा का लाभ और वित्त की बचत होगी लेकिन दुर्भाग्य है कि 2014 से ही लोगों के सुझाव माँगे गए लाखों सुझाव पँहुचे इन सुझावों में गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों के हित पहुँचाने वाले सुझाओं को खारिज करके शिक्षा के व्यवसायी करण को बढ़ाने और गरीब बच्चों को एकलव्य बनाने वाली क्षेत्रवाद की फसल तैयार करने वाली शिक्षा प्रणाली लागू कर दी गई
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