रिपोर्ट-स्वरूप श्रीवास्तव महराजगंज,उत्तर प्रदेश। इस्लाम मज़हब में यौमे आशूरा की बहुत अहमियत है यह दिन असत्य पर सत्य की विजय का दिन भी मान...
रिपोर्ट-स्वरूप श्रीवास्तव
महराजगंज,उत्तर प्रदेश।
इस्लाम मज़हब में यौमे आशूरा की बहुत अहमियत है यह दिन असत्य पर सत्य की विजय का दिन भी माना जाता है इस दिन कर्बला के मैदान में पैगम्बर हज़रत मुहम्मद के निवासे इमामे हुसैन और उन के 72 साथियों को यज़ीद की फौज पहले उन का खाना पानी रोक कर तड़पाया पानी के एक एक बूंद के लिए उन के साथियों को तरसा दिया फुरात नामी दरिया पर पहरा लगा कर हुसैनियों पर पानी बन्द करदिया पूरा काफिला खाना पानी से मजबूर हो गया फिर यज़ीद की फौज ने इमामे हुसैन समेत उन के 72 साथियों को शहीद कर दिया। यौमे-ए-आशुरा :क्या है और कर्बला में जंग क्यों हुई आइए उस को जानते है.
कर्बला- इराक की राजधानी बगदाद से 100 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में एक छोटा-सा कस्बा है। यहां पर तारीख-ए-इस्लाम की एक ऐसी नायाब जंग हुई, जिसने इस्लाम का रुख ही बदल दिया। इस कर्बला की बदौलत ही आज दुनिया के हर शहर में ‘कर्बला’ नामक एक स्थान होता है जहां पर मुहर्रम मनाया जाता है।लोग ताज़िये और अलम उठाते है नौहा मर्सिया और मातम करते हैं!
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