रिपोर्ट - भैरु सिंह राठौड़* *भीलवाड़ा (राजस्थान) 09799988158* आज के जमाने में हिन्दी भाषा की सादगी और मौलिकता को जिस तरह से कोल्...
आज के जमाने में हिन्दी भाषा की सादगी और मौलिकता को जिस तरह से कोल्हापुर (महाराष्ट्र) की प्रख्यात लेखिका ममता राठौड़ ने प्रासंगिक तरीके से व्याख्या की है, वो वाकई काबिले तारीफ है! जिस तरह से उन्होंने हिन्दी भाषा की कार्यशैली को जीवन के अनुरूप उसकी उपादेयता और उपयोगिता को सार्थक तरीके से पेश किया हैं, उससे यह लगता हैं कि मनुष्य की जिंदगी हिन्दी के बिना अधुरी हैं! इसीलिए तो हिन्दी भाषा के सामने दूसरी भाषाओं की चमक बिल्कुल फीकी और बेनूर लगती हैं! लेखिका ममता राठौड़ ने अपनी इस लिखी कविता में हिन्दी को उसकी आवश्यकतानुसार सभी जगह परिलक्षित किया हैं! ममता राठौड़ लिखती हैं कि -
माणिक, मोती, कंचन हिन्दी .
तिलक राष्ट्र का चंदन हिन्दी .
अपनो से भी अपनी लगती ,
रेशम सा एक बंधन हिन्दी .
श्रेष्ठ, सरल, सुंदर, संस्कारी ,
मिश्री सा सम्बोधन हिन्दी .
भाषाओं के वन-उपवन मे ,
सरस और सम्मोहन हिन्दी .
विश्व चेतना बन मुस्काती ,
हृदय से अभिनंदन हिन्दी
ह्रदय की कोई भाषा नहीं है,
हृदय हृदय से बातचीत करता है!
हिंदी ह्रदय की भाषा है!!
*लेखिका - ममता राठौड़*
*कोल्हापुर (महाराष्ट्र)*
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