डा० दिलीप कुमार झा पत्रकार झारखंड । यूं ही नही हर कोई महान बन जाता है उसके पीछे उसकी संकल्प शक्ति संघर्ष और त्याग और पुरुषार्थ ...
डा० दिलीप कुमार झा पत्रकार झारखंड ।
यूं ही नही हर कोई महान बन जाता है उसके पीछे उसकी संकल्प शक्ति संघर्ष और त्याग और पुरुषार्थ का होना आवश्यक होता है ।
दिनांक 23/4/2024
गोड्डा— आसमान की ओर थूकने वालों के चेहरे पर ही थूक वापस आकर गिरती है ।एक भ्रष्ट व्यक्ति, अपराधी ,राष्ट्र द्रोही ,राज कोष को लूट कर परिवार वाद को बढ़ावा देने और इस देश को कमजोर कर अपनी सत्ता चलाने वाली पार्टियों के समर्थन में खड़ी होकर 80 करोड़ भूखे दरिद्र नागरिकों की रोटी छीन कर अपने लकड़बग्घों के परिवार के सात पुश्तों का आर्थिक सामाजिक और शक्ति के केंद्र को अपने अधीन कर फिर वह शासन अपने छल बल और कल के साथ लोक तंत्र और संविधान की मर्यादाओं को तार तार करते हुए आशुरी शक्ति के बल पर सत्ता चलाता है ऐसे व्यक्ति के चरित्र उजागर होने के बाद भी बेशर्म की तरह फिर अपने समाज और देश वासियों के आगे जाति के नाम पर , निज स्वार्थ के नाम पर झूठे वादे और सपने दिखाकर फिर दोबारा सत्ता में आने की चाहत रखता है ।और उसे हम अपनी संकीर्ण मानसिकता की वजह से उसका साथ देते हैं ।भूल जाते हैं संविधान की शपथ श्रीमद भागवत गीता का उपदेश और सनातन सभ्यता और संस्कार भूल कर रावण की तरह अहंकारी और भस्मासुर की तरह चरित्र जीने लगते हैं जो जनता उन्हें सत्ता तक पहुंचाती है हम उसी का अन्न पानी हवा छीनकर एक गुलाम की तरह जिंदगी जीने को मजबूर करते हैं ।हर चुनाव में नए हथकंडे फरेब और झूठ के बल पर नया मुखौटा लगाए फिरते हैं और देश की जनता अपनी आवश्यक आवश्यकता पूरी करने में व्यस्त हो जाती है अपने मत को महत्वहीन समझकर जैसे किसी भीखमंगे को एक रुपए का भीख देकर खुद संतोष कर लेते हैं । चुनाव आते ही नए मसाले तैयार किए जाते हैं चाहे उसमे घोड़े की लीद हो या गोबर जो चल जाए उसे मैदान में उतार देते हैं जाति समीकरण हो या धर्म और मजहब का तड़का जाति का अनिष्ट हो या समाज का देश की सामाजिक ताना बाना बिगड़ जाए पड़ोस में रहने वाला राम कब तीर और धनुष तान दे या अब्दुल कब अपनी कटार से कर्ण का वध कर दे पता नही होता । थोड़े पैसे पद और सम्मान की लालच में हम एक दूसरे के जीवन का अंत कर अपना भविष्य और शांति के साथ जीवन व्यतीत करना चाहते हैं जो असंभव है । देश को मिली आजादी के साथ हमे संविधान मिला कानून बनाए गए एक देश और एक समान अधिकार आम नागरिकों के लिए हैं फिर ये जाति वाद और धर्म मजहब के नाम पर आरक्षण हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई के नाम पर अलग तुष्टिकरण क्यों ?
हम भारत के लोग भारतीय होने का गौरव तो प्राप्त कर लें अपने देश का नाम गौरवान्वित तो कर लें अपने देश को सशक्त तो कर लें भूखे नागरिकों के लिये भोजन वस्त्र आवास चिकित्सा ,शिक्षा और यातायात के साधन तो बना लें तभी दुनियां हमे सम्मान के साथ देखेंगे और हमे भारतीय होने का गौरव भी प्राप्त होगा । याद रखना मूर्ख और दरिद्रों की कहीं पूछ नही होती चाहे विश्व के किसी कोने में चले जाओ । लोग वहां तुम्हे भारतीय ही कह कर बुलाएंगे चाहे तुम किसी भी धर्म और मजहब से ताल्लुक रखते हो हिंदू मुस्लिम सिख बौद्ध और जैन भारतीय के बाद ही पहचान देंगे ।आप किस धर्म और मजहब से ताल्लुक रखते हैं । अपनी छवि स्वच्छ और साफ सुथरा बनाएं । पाकिस्तान वाली छवि ना खुद की बनाएं और न इस देश की बनने दें ।आप दानवीर बने शक्ति संपन्न होने से आपकी वीरता और संपन्नता के आगे विदेशी आप के आगे सर झुकाएंगे। एक भारत वासी दूसरे भारत के नागरिकों की इस तरह मदद और रक्षा करें जैसे कि एक बड़ा भाई छोटे भाई की मदद करते हैं माताओं और बहनों का सम्मान करते हुए भूले भटके लोगों की राह आसान करें । इस देश की शक्ति आपके लिए है आपकी सुरक्षा के लिए हैं आपके विकास के लिएं है जाति और धर्म की राजनीति से अपनी रोटी सेंकने वालों का चुल्हा ठंडा करे ।ऐसे अवसरवादी और धूर्त नेताओं से प्रश्न पूछे और जवाब माकूल न मिलने पर लात मारकर घर से भगाएं ।
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