डा० दिलिप कुमार झा पत्रकार झारखंड दिनांक 15/4/2024 गोड्डा लोक सभा चुनाव में गोड्डा लोक सभा क्षेत्र बहुत ही ज्यादा संवेदन शील ...
डा० दिलिप कुमार झा पत्रकार झारखंड
दिनांक 15/4/2024
गोड्डा लोक सभा चुनाव में गोड्डा लोक सभा क्षेत्र बहुत ही ज्यादा संवेदन शील क्षेत्र रहा है ।और यहां नागरिकों की पहली पसंद होती है राज्य से बाहर के आए उम्मीदवारों का स्वागत कर उन्हे राजतिलक लगा कर सत्ता में बिठा लेते हैं । इतिहास गवाह है पूर्व सांसद जगदंबी प्रसाद यादव जैसे नेता यहां सांसद चुने गए । पूर्व विधायक संजय प्रसाद यादव विधायक गोड्डा से कई बार चुने गए ।स्थानीय प्रत्याशियों ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई लेकिन अत्यधिक महत्वाकांक्षा और अहंकार के चलते लोक सभा जैसे विस्तृत क्षेत्रों में ज्यादा सफलता नहीं प्राप्त कर सके ।इस बार के गोड्डा लोक सभा चुनाव मैदान में भाजपा की ओर से बहुत पहले फैसला लेकर निवर्तमान सांसद को ही चुनाव मैदान में उतारना उसकी नीति का एक हिस्सा है क्षेत्र से गई रिपोर्ट पार्टी की ओर से मांगी गई रिपोर्ट और प्रेस मीडिया द्वारा प्रसारित खबरों के साथ केंद्र द्वारा घोषित की गई कितनी योजनाओं को सफलता पूर्वक उन योजनाओं को जन समर्पित की गई ये उनका आधार था वर्तमान चुनाव में टिकट मिलने का और उन्हें मिला भी ।
लेकिन उनके मुकाबले में कांग्रेस ही मुख्य मुकाबला में आता महा गठबंधन के कोटे से ।कई प्रत्याशी के नाम हवाओं में तैर रहे थे और सारे कांग्रेस के ही प्रत्याशी थे ,प्रदीप यादव विधायक पोडैया हाट का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में सशक्त उम्मीदवार पूर्व में मंत्री सांसद रहे टिकट के प्रमुख दावेदार थे ।इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रत्याशी ने कहा था अगर वो चुनाव मैदान में उतरेंगे तो मुझे प्रचार कारने की आवश्यकता नहीं है और मेरे कार्यकर्ता ही इसके लिए काफी हैं ।ये एक खुला चैलेंज था कांग्रेस पार्टी के नेता प्रदीप यादव के लिए।
दूसरे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप मे अल्प संख्यक कोटे से थे इरफान अंसारी वो भी जामतारा से विधायक थे और अल्पसंख्यक होने के नाते भाजपा विरोधी मत के साथ आदिवासी समाज का समर्थन भी उन्हे प्राप्त होता ।लेकिन हिंदू मुस्लिम की हवा में हिंदुओं के नाम पर ध्रुवीकरण होने से कांग्रेसी कार्यकर्ता भी गुप्त मतदान के जरिए बीजेपी को अपना समर्थन दे सकते थे ।
अब कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार की चर्चा करें तो महगामा विधायक दीपिका पांडे सिंह की चर्चा थी और एक स्वतंत्र पत्रकार होने के नाते निष्पक्ष रूप से क्षेत्र का अध्ययन करने के बाद मेरे जेहन में विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में दिपिका पांडे का ही नाम सामने आता था इसकी एक वजह थी एक तेज तर्रार महिला प्रतिनिधि होने के साथ संघर्षशील महिला नेत्री के रूप में उन्हे जाना जाने लगा था ।चाहे अदानी कंपनी में भर्ती की बात हो या क्षेत्र में विकास योजनाओं को लेकर उनके द्वारा किये जा रहे प्रयास और क्रियान्वयन की बात हो ।युवा कार्यकर्ताओं के साथ अल्प संख्यकों का भरपूर समर्थन ,महिला होने के नाते सहज ही महिलाओं से मिलकर उनका समर्थन प्राप्त कर लेना क्षेत्र में कहीं भी आपात काल अवस्था में जाकर सहायता देना प्रशासन द्वारा सहायता दिलवाना उन्हे अपने क्षेत्र में प्रसिद्धि प्रदान करतें हैं ।महा गठबंधन में हालत के मुताबिक झामुमो सरकार का पूर्ण समर्थन हर तरह से प्राप्त होगा । एक सबसे बड़ी बात है उनके श्वसुर अवधबबिहारी चौधरी हैं जो अखंडबिहार में पूर्व शिक्षा मंत्री रहे थे और काफी लोगों को मदद देकर सहायता भी की थी इससे एक बड़ी संख्या में कांग्रेस की वंशानुगत कांग्रेसी सदस्यों का उन्हे इस चुनाव में समर्थन प्राप्त होगा । ये कुछ विषय हैं जो दीपिका पांडे की जीत के लिए सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
अब सामने चुनौतियों की भी चर्चा कर लें जो प्रासंगिक है ।— महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में पार्टियों का कितना समर्थन ?राजद को बिल्कुल अलग थलग देखा गया खास कर जब झामुमो की बैठक या कांग्रेस पार्टि की बैठक गोड्डा में आयोजित की गई थी उसमे राजद को महत्व नहीं देना । लेकिन याद रहे राजद के पूर्व गोड्डा विधायक संजय प्रसाद यादव जी दो बार विधायक रहे और आज भी चुनाव मैदान में अपने दमखम के साथ चुनाव मौदान में उतरते हैं और भाजपा की लहर या सहानुभूति लहर में भी वो 4/5हजार की अंतर से ही हारते हैं उनके समर्थकों की संख्या भी आज भी मैदान में कम नहीं हैं । आरजेडी की क्या नीति होती हैं इस पर अभी कुछ भी कहना संभव नहीं लेकिन राजद के महत्व को नकारा नही जा सकता ये पूर्व गोड्डा विधायक संजय प्रसाद यादव की अपनी नीति और निर्णय पर निर्भर करता है ।कांग्रेस प्रत्याशी टिकट के नाम की घोषणा होते ही दो प्रतिक्रियाएं सामने आई गोड्डा में । एक प्रतिक्रिया थी पटाखे फोड़ते हुए दीपिका पांडे जिन्दाबाद के नारों से गूंज रहा कारगिल चौक जो खुशी प्रकट कर रहे थे ।दूसरी प्रतिक्रिया थी विरोध की जो विधायक प्रदीप यादव के समर्थक थे और दिपिका पांडे सिंह को टिकट दिए जाने का विरोध कर रहे थे । खुली बगावत धमकी चेतावनी प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी और कुछ लोग अपने चरित्र के मुताबिक अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे थे ।
इनका विरोध या आक्रोश भाजपा के लिए कोई मायने नहीं रखता लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी दीपिका पांडे सिंह के लिए एक बड़ी समस्या पैदा करेगी जो जीत की राह में फेके हुए काटें साबित होंगे।
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