डा o दिलीप कुमार झा पत्रकार न्यूज़ प्रभारी, झारखण्ड। दिनांक 7/1/2025 दुनियाँ मे सबकुछ मिल जाता हैं टीवी के विज्ञापन और यू ट्यूब...
डा o दिलीप कुमार झा पत्रकार न्यूज़ प्रभारी, झारखण्ड।
दिनांक 7/1/2025
दुनियाँ मे सबकुछ मिल जाता हैं टीवी के विज्ञापन और यू ट्यूब पर गूगल इंस्टाग्राम और ए वन पर लेकिन एक चीज नहीं मिल रही हैं वो हैं पेसेन्स (धैर्य रखने ) कि टिकिया। और मुसीबत देखिये कि धैर्य रखने के बहुत सारे विकल्प मिल जायेंगे सुझाव मिल जायेंगे सहारे मिल जायेंगे लेकिन वो उस महत्वपूर्ण टिकिया का अविष्कार नहीं किया जा सका हैं इस विश्व के सारे वैज्ञानिक और शोधकर्ता यहाँ फेल हो चुके हैं। सारी दुनियां को तलाश हैं लेकिन उपलब्ध नहीं सहारे और विकल्प सैकड़ो मिल जायेंगे लेकिन कम्बख्त वो टिकिया नहीं मिल रही। कोरोना वायरस फैली उसकी दवा तैयार हो गई लेकिन धैर्य रखने कि टिकिया का ईजाद नहीं हो पाया। जबकि इस विश्व कि बहुत बड़ी जनसंख्या इस रोग से मर रहे हैं कोई आत्महत्या कर रहा हैं कोई हत्या लेकिन इस टिकिया कि एक खुराक नहीं मिल पाती हैं। किसी भी लाइन मे लगे हैं धैर्य समाप्त हो रहा हैं कब खिड़की पर पहुँच जाएँ, पूजा पाठ धार्मिक कार्य करने मे लगे हैं फिर भी सब्र नहीं प्रतीक्षा नहीं। सत्यनारायण भगवान कि कथा का आयोजन तो कर रहे हैं लेकिन जजमान को सात अध्याय कि कथा सुनने तक का धैर्य नहीं अन्य भक्त लोग अपने घर से ही शंख ध्वनि और घंटे का अवलोकन कर रहे होते छह घंटे लग गए अब सातवां होगा चलो प्रसाद ले आएं पंडित जी भी फटाफट श्लोक और मन्त्रों को पॉपकॉर्न की तरह भूनने मे जुटे हैं। सभी को जल्दबाजी हैं धैर्य ना धर्म मे बची ना कर्म मे दोनों का एकमात्र इलाज हैं पेसेन्स कि टिकिया।
तुलसी दास जी भी लिख गए धीरज धर्म मित्र और नारी आपत काल परिखिये चारी,लेकिन जब धीरज ही नहीं तो और चीजों को परखने कि फुर्सत कहाँ? रामदेव कि सुनो तो वो एक्सरसाइज कराएगा फिर अपनी महगी महगी उत्पाद बेचेगा लेकिन उसने भी ये धैर्य की एक टिकिया नहीं बनाई।ना हम धैर्य रख सकते हैं ना प्रतीक्षा कर सकते हैं। दोनों एक दुसरे के पूरक हैं जिसे श्रद्धां सबूरी कहते हैं जो साई बाबा का मूल मंत्र हैं जो धैर्य रखते हैं प्रतीक्षा करते हैं वही भक्त मीठे फल पाते हैं और दो किलो का स्वर्ण आभूषण भी चढ़ाते हैं।
धैर्य धारण करना एक साधना हैं जो प्रतिदिन ध्यान लगाकर मन को नियंत्रित कर एकाग्रता और शांति के साथ बैठकर चेतन अवस्था से अवचेतन अवस्था तक की यात्रा तय करती हैं तबतक आपका धैर्य बना रहे और यही अभ्यास दैनिक जीवन की गंभीर परिस्थितियों मे भी धैर्य के साथ प्रतीक्षा करने की शक्ति प्रदान करता हैं। आज बीज बोने और पौधे लगाने से हम आज फल नहीं प्राप्त कर सकते वक्त लगता हैं एक बीज से पौधा बनने मे फल लगते हैं पकने तक धैर्य और प्रतीक्षा करनी ही पड़ेगी।
प्रेयसी या प्रेमी वक्त से नहीं पहुँचती तो आप आत्महत्या नहीं करते या हत्या नहीं कर देते मर कट कर oh आह करके भी आप अधैर्य होकर प्रतीक्षा करते हैं।जिसका आभाव आज के इंसानों युवाओ युवतियों मे सबसे अधिक हैं। आहार विचारऔर ब्यवहार भी इसका मुख्य कारण हैं अंडे खाएंगे मुर्गे खाएंगे जो आपके रक्त को उत्तेजित करता हैं आपके दूषित खून से आपकी बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती हैं। खानपान शिक्षा संस्कार से ही आप को बगैर क़ीमत चुकाये आप पेसेंस की टिकिया निर्मित कर उपयोग कर सकते हो ये कहीकिसी बाज़ार मे नहीं मिलता।
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