डॉ o दिलीप कुमार झा पत्रकार न्यूज ऑफ इंडिया । दिनांक 27/11/2025 मुंबई/ बोईसर गृहस्थाश्रम मे रहकर संन्यास्त हो जाना ही सर्वश्रेष्...
डॉ o दिलीप कुमार झा पत्रकार न्यूज ऑफ इंडिया ।
दिनांक 27/11/2025
मुंबई/ बोईसर गृहस्थाश्रम मे रहकर संन्यास्त हो जाना ही सर्वश्रेष्ठ संन्यासी है —बाबा दया शंकर दुबे महाराज
अपने बाल्यकाल से ही श्री नारायण स्वामी के भक्त हैं उनकी स्मृति में वो छवि आज भी बसी है जो शेषनाग के शय्या पर विष्णु भगवान आराम मुद्रा में हैं उनकी पत्नी अपने हाथों से उनके पांव दबा रही हैं ।उनकी नाभि से निकली कमल दल पर ब्रह्माआसान हैं । समुद्र की अथाह जलराशि चारों ओर दिखाई पड़ती है ।उसी अथाह जलराशि से एक छोटी सी नदी की धार चली है उसमें मैं कमर तक जल में खड़ा होकर नारायण को बारंबार प्रणाम करता हु । ऐसे ही दृश्य के बार बार मेरे मस्तिष्क के मानस पटल पर उभरते हैं । जन्म मरण और मोक्ष के सवाल पर उन्होंने बताया नर्क मां का गर्भ है जिससे निकल कर यातना भोगकर इस दुनिया में आया हु लेकिन अपने कर्म से फिर मेरा पुनर्जन्म नहीं हो और इस बंधन से मुक्त हो जाएं और प्रभु के श्री चरणों में स्थान मिल जाए ।हमारा कर्म ही प्रधान है इस जरा मरण के चक्र से निकलने का एक मात्र सहारा है । गृहस्थाश्रम का मार्ग सबसे श्रेष्ठ है कर्म करते हुए अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करते हुए फल की आशा का त्याग करते हुए महा प्रयाण कर जाना सबसे बड़ी साधना है ।
COMMENTS