न्यूज़ ऑफ इंडिया डेस्क:- लखनऊ कोविड-19 के दौरान देश में उपजे जन समस्याओं को देखते हुए यूपी पुलिस की छवि मित्र पुलिस के रूप में उ...
न्यूज़ ऑफ इंडिया डेस्क:-
लखनऊ कोविड-19 के दौरान देश में उपजे जन समस्याओं को देखते हुए यूपी पुलिस की छवि मित्र पुलिस के रूप में उभरकर आई जिसने इस महामारी के दौरान ऐसे ऐसे कार्य किए जो सीधा लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई मगर वही लखनऊ के इटौंजा थाने के इंस्पेक्टर नंदकिशोर पर भीखमपुर गांव निवासी किसान गोविंद (48) की पीट-पीटकर जान लेने का आरोप है। पीड़ित किसान के परिवारीजनों ने लिंक रोड पर शव रखकर सीतापुर-लखनऊ हाइवे जाम कर दिया। किसान नेताओं और ग्रामीणों ने भी पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर पीड़ित परिवार का साथ दिया। इंस्पेक्टर व इटौंजा पुलिस के खिलाफ महिलाओं का आक्रोश इसकदर था कि पुलिस को डंडे लिए देख उन्होंने भी हाथों में डंडे उठा लिए, भला बुरा भी कहा।
बढ़ता आक्रोश देख सीओ और एसडीएम बीकेटी मौके पर पहुंचे। पीड़ित की पत्नी ने 10 लाख रुपये मुआवजे व तहरीर देकर इंस्पेक्टर समेत 4 आरोपित पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की। कार्रवाई व मुआवजे के आश्वासन पीड़ित परिवार ने शव का अंतिम संस्कार किया। गोविंद की पत्नी कमला देवी ने तहरीर में कहा है कि गांव में ही गन्ने और संतोष के बीच मारपीट हो गई थी, जिसमें गोविंद ने बीचबचाव किया। थाने के तीन पुलिसकर्मी गोविंद से पूछताछ के बहाने उसे थाने ले गये। जहां इंस्पेक्टर नंद किशोर ने गोविंद के सीने पर ऐसा घुसा मार पिटाई कि उनके मुंह से खून आ गया। इसके बाद गोविंद का 151 में चालान कर दिया। कोर्ट से गोविंद को छुड़ाने के बाद पत्नी ने डालीगंज पुल के पास स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां सीने व फेफड़े में आई गंभीर चोटों से शनिवार को इलाज के दौरान गोविंद की मौत हो गई। उधर इंस्पेक्टर ने खुद पर व थाने के तीन पुलिसकर्मियों पर लगाये गये पिटाई के आरोप को गलत बताया है।
साभार :तस्वीर /सूचना- जागरण डाट कॉम से ली गई है
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