दीपेंद्र कुमार खीरों,रायबरेली।. जनपद रायबरेली और उन्नाव की सीमा रेखा को छूता हुआ गांव दृगपालगंज मजरे ऐंधी जहाँ पर लगभग सौ साल प...
दीपेंद्र कुमार
खीरों,रायबरेली।. जनपद रायबरेली और उन्नाव की सीमा रेखा को छूता हुआ गांव दृगपालगंज मजरे ऐंधी जहाँ पर लगभग सौ साल पुरानी बाजार है।यह बाजार लगभग रायबरेली और उन्नाव की दो दर्जन से अधिक ग्राम सभाओं के रोज मर्रा की आवश्यकता पूर्ति के का इकलौता स्थान है।लगभग डेढ़ दशक पहले क्षेत्रीय विधायक के प्रयास से सरकार के द्वारा लाखों रुपए लगाकर बनाया गया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दृगपाल जो कि पूरी तरह लापरवाही और भृष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है।अस्पताल प्रांगण पूरी तरह घास,कटीली झाडियों से पट चुका है,कूड़े और गन्दगी का अंबार लग चुका है।दीवारों चहार दिवारी का प्लास्टर पूरी तरह टूट चुका है।इस संदर्भ में जब स्थानीय लोगों जैसे-विनय सिंह,दिलीप अहमद,राजेश सिंह, शिशुपाल,सुशील प्रकाश करुणा निधि सहित दो दर्जन से अधिक लोगों से जानकारी की गई तो बताया अस्पताल एक फार्मेशिष्ट के सहारे चल रहा है।जब से अस्पताल खुला है कुछ महीनों को छोड़ दिया जाए तोअस्पताल में नियुक्त डॉक्टर महीने में मुश्किल से दो या तीन बार आते हैं,और खाना पूर्ति करके चले जाते हैं।सीएमओ रायबरेली से बात करने पर मामले की अनभिज्ञता जाहिर की गई तथा बताया खीरों अधीक्षक से बात कर लीजिए।इस बाबत मुख्यालय खीरों सीएचसी अधीक्षक डॉक्टर भावेश ने बताया कि दृगपाल गंज में नियुक्त डॉक्टर कोरोना ड्यूटी पर लगाए गए हैं।अब प्रश्न उठता है कि क्या कोरोना जब से अस्पताल खुला है तब से प्रभावी है,लेकिन ऐसा कत्तई नही।कहीं न कहीं विभागीय सांठ गांठ अनियमितता का खेल चल रहा है।एकलौते ग्रामीण अस्पताल में डॉक्टर न आने से पूरे क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला है,आए दिन कोई न कोई इनकी चपेट में आकर गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा रोज देकर इलाज करवाता है।आए दिन क्षेत्रीय अकुशल डॉक्टरों के कारण तमाम छोटो बीमारी से ग्रसित मरीज अपनी जीवन लीला समाप्त करते हैं।इस कोरोना महामारी काल मे पीएचसी दृगपाल गंज में डॉक्टर न आने और बरसात के संक्रमण काल मे लाखों की आबादी का क्षेत्र पूर्ण रूप से प्राणों की रक्षा हेतु झोला छाप डॉक्टरों या फिर ईस्वर पर आसक्त है।इस गम्भीर समस्या को यदि सक्षम विभागीय अधिकारियों ने संज्ञान न लिया तो समूचा क्षेत्र तो डॉक्टरों की मनमानी का शिकार हो ही रहा है।इसी के साथ सरकार के द्वारा बनाया गया लाखों रुपए का अस्पताल का भवन भी जल्द ही धराशायी हो सकता है।
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