रिपोर्ट--हिमांशु सिंह हमारे सनातन धर्म मे सुरु से ही सभी जीवों में गाय के बाद सांप ही एक ऐसा जीव है जिसका हिन्दू सनातन धर्म से ...
रिपोर्ट--हिमांशु सिंह
हमारे सनातन धर्म मे सुरु से ही सभी जीवों में गाय के बाद सांप ही एक ऐसा जीव है जिसका हिन्दू सनातन धर्म से गहरा नाता है। ये भगवान शिव के प्रिय है और हम भी इन्हें भगवान तुल्य मानकर नागपंचमी पर इनकी पूजा करते है। इसके अलावा सांपो से जुड़े कई ऐसे रहस्यमयी मिथक भी है जो की हमें रोमांचित करते है जैसे की क्या मणिधारी सांप होते है ? या फिर क्या इच्छाधारी नाग होते है ? ऐसी ही सांपो से जुडी एक और बात है जो सदियों से हमारे कौतुहल का विषय रही है, वो ये की क्या उड़ने वाले सांप होते है और यदि होते है तो वो बिना पंखो के उड़ते कैसे है?
प्राचीन समय से ही ऐसे सांपो को देखे जाने के बारे में कहा जाता रहा है लेकिन इनका कोई प्रमाण नहीं था। लेकिन जब वैज्ञानिक घने वर्षा वनों में पहुंचे तो उन्होंने पाया की उड़ने वाले साप महज़ कल्पना नहीं है बल्कि इस धरती पर उनका अस्तित्व है। वैज्ञानिको ने प्रमाण के रूप में उनकी फोटो खींची और वीडियो भी बनाए। वैज्ञानिको ने पाया की ऐसे सांपो का अस्तित्व तो है पर पूरे विश्व में यह केवल दक्षिण एशिया के वर्षा वनों में ही पाए जाते है।
उड़ने में सक्षम यह सांप क्रिसोपेलिया जाति से सम्बंधित है हालांकि इस सांप की मात्र पांच प्रजातियों में ही उड़ने की योग्यता होती है। यह सांप 3 से 4 फ़ीट लम्बे होते है और यह वर्षा ऊंचे ऊंचे पेड़ों पर रहते है। ये सांप एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाने के लिए उड़ान भरते है। इस तरह से यह अधिकतम 350 फ़ीट की दुरी तक जा पाते है। हालाँकि कुछ वैज्ञानिक उनकी इस क्रिया को उड़ना न मानकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाना मानते है। लेकिन अधिकाँश वैज्ञानिकों का कहना है की इसे छलांग मानना गलत है क्योंकि 350 फ़ीट बहुत ज्यादा दूरी होती है। बन्दर जो की छलांग लगाने के सबसे अनुकूल होते है वो भी कुछ फ़ीट तक ही छलांग लगा पाते है।
वैसे हमें इसे उड़ान माने या छलांग पर वैज्ञानिकों को यह बात सबसे ज्यादा परेशान और चकित कर रही थी की पंखों जैसी कोई संरचना नहीं होने के बाद भी सांप इस क्रिया को कैसे पूरा करते है। इस बात पर कई दशको से शोध चल रहे थे पर कोई सार्थक निष्कर्ष पर वैज्ञानिक नहीं पहुँच पाये थे। पर इस साल के शुरुआत में इस पर हुई एक महत्वपूर्ण रिसर्च का प्रकाशन ‘जर्नल ऑफ़ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी’ में हुआ जिससे इस रहस्य पर से पर्दा उठा।
वैज्ञानिकों यह तो पहले से जानते थे कि जो सांप उड़ना जानते हैं वे उड़ने के लिए अपने आकार को बदल पाने में प्रवीण होते हैं। लेकिन वो ये करते कैसे है इस पर पहली बार विस्तृत शोध हुआ है। इस शोध के विशेषज्ञ अमेरिका स्थित वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जैक सोचा ने इन उड़ने वाले सांपों के बारे में बताया कि ये सांप एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक छलांग लगाते समय अपने सिर से पूंछ की तरफ तक अपने शरीर को चपटा कर लेता है। इस आकार में आकर यह अपनी पसलियों को सिर की दिशा में आगे की ओर व रीढ़ की दिशा में ऊपर की ओर घुमा पाता है। इस अवस्था में इसकी चौड़ाई दोगुनी हो जाती है और क्रॉस सेक्शन कर यह एक विशेष आकार पा लेता है जिसके कारण ही इसका उड़ना संभव हो पाता है। वैज्ञानिको के अनुसार इस खोज का उपयोग एक ऐसा रोबोट या मशीन बनाने में किया जा सकता है जो उड़ सकती हो।
वैज्ञानिको के अनुसार ये खोज वाकई उनके लिये काफी काम आ ने वाली साबित हो सकती है और वे इस खोज के माध्यम से आगे मशीनों के निर्माण करने में जुट गये है।
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