नवरात्रि के चौथे दिन की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। नवरात्रि के चतुर्थ दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा के पूजन से हमा...
नवरात्रि के चौथे दिन की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। नवरात्रि के चतुर्थ दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है अनाहत चक्र में ध्यान कर माता की साधना की जाती है। जिससे रोग, दोष, शोक की निवृत्ति होती है तथा यश, बल व आयु की प्राप्ति ।
अनाहत चक्र हृदय के निकट सीने के बीच में स्थित होता है जो कि प्रतीकात्मक रूप से बारह पंखुडिय़ों का एक कमल है और ये 12 पंखुड़ियां दैवीय गुणों जैसे परमानंद, शांति, सुव्यवस्था, प्रेम, संज्ञान, स्पष्टता, शुद्धता, एकता, अनुकंपा, दयालुता, क्षमाभाव और सुनिश्चिय का प्रतीक है। तथापि, हृदय केन्द्र भावनाओं और मनोभावों का केन्द्र भी है। इसके प्रतीक छवि में दो तारक आकार के ऊपर से ढाले गए त्रिकोण हैं। एक त्रिकोण का शीर्ष ऊपर की ओर संकेत करता है और दूसरा नीचे की ओर। जब अनाहत चक्र की ऊर्जा आध्यात्मिक चेतना की ओर प्रवाहित होती है, तब हमारी भावनाएं भक्ति, शुद्ध, ईश्वर प्रेम और निष्ठा प्रकट करती है। तथापि यदि हमारी चेतना सांसारिक कामनाओं के क्षेत्र में डूब जाती है, तब हमारी भावनाएं भ्रमित और असंतुलित हो जाती हैं। तब होता यह है कि इच्छा, द्वेष-जलन, उदासीनता और हताशा भाव हमारे ऊपर छा जाते हैं। अनाहत चक्र का रंग हलका नीला जैसे आकाश का रंग होता है। इसका समान रूप तत्त्व वायु है। वायु प्रतीक है-स्वतंत्रता और फैलाव का। इसका अर्थ है कि इस चक्र में हमारी चेतना अनंत तक फैल सकती है। अनाहत चक्र का मंत्र यम (YAM) है।
क्या होता है जब ये चक्र असंतुलन या निष्कर्ष होता है
ह्रदय चक्र या अनाहत चक्र के असंतुलन होने पर गुस्सा,चिड़चिड़ापन, बी.पी. बढना, श्वास ठीक से ना आना, ह्रदय रोग, सिर दर्द, छाती मे दर्द, ज्यादा पसीना आना, नकारात्मक विचारों से घिरा रहना, जोड़ों में अकड़ाव (arthritis ) जैसी बीमारियाँ हो सकती है| व्यक्ति डरपोक हो जाता है। वो अपनी बात बोलने में हिचकने या डरने लगता है तथा कई बार सही बात का भी समर्थन नहीं कर पाता। बात-बात पर रो देते है । घ्रणा, इर्षा, द्वेष की भावना होती है । सहनशक्ति बहुत कम होती है|
अनाहत चक्र के जाग्रत होने के फायदे :-
यह हृदय और फेफड़ों की कार्यक्षमता को सुधारता है। रक्त का परिवहन यहाँ से होता है| अशुद्ध रक्त ह्रदय मे पहुंचता है ओर शुद्ध होकर शरीर में पहुंचता है| ह्रदय को चलाने का अतिआवश्यक काम ह्रदय / अनाहत चक्र करता है| ह्रदय चक्र के संतुलन मे रहने पर व्यक्ति खुश रहता है| दूसरों के दुख दर्द को समझता है और उनकी मदद के लिये हमेशा तैयार रहता है| मन मे प्रेम और करुणा के भाव आने लगते है| वह उर्जावान तथा सकारात्मक शक्ति से परिपूर्ण होता है । जीवन आनन्द से भर जाता है और कोई भी स्थिति उसको दुखी नही करती अपनी कल्पना शक्ति पर तथा इच्छाओं पर काबू रखता है इस चक्र के जागृत हो जाने पर कपट, हिंसा, अविवेक, चिंता, मोह, भय जैसी भावनाएं दूर हो जाती हैं। व्यक्ति के मन में भावनात्मक संवेदनाएं जागृत हो जाती हैं।
सामाजिक और पारिवारिक जीवन मे सुधार :-
इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति की प्रतिभा में निखार आता है और वो अगर लेखक या कवि है तो उनको काफी सफलता मिलती है समाज मे वो मानवता और ईमानदारी का अच्छा उदाहरण बनता है । उसके अंदर इतना ज्यादा आत्मविश्वास आ जाता है कि वो किसी से भी बात कर सकता है और बहुत ही अच्छे तरीके से अपनी बात को बोल सकता है अनाहत चक्र से उदय होने वाली दूसरी शक्ति संकल्प शक्ति है जो इच्छा पूर्ति की शक्ति है। जब आप किसी इच्छा की पूर्ति करना चाहते हैं, तब अपने हृदय में इसे एकाग्रचित्त करें। आपका अनाहत चक्र जितना अधिक शुद्ध होगा उतनी ही शीघ्रता से आपकी इच्छा पूरी होगी।
नवरात्रि में कैसे करें जाग्रत अपने अनाहत चक्र को :-
नवरात्रि के चौथे दिन अपने दैनिक नित्य कर्म करके माता कूष्मांडा की पूजा करें और ध्यान अवस्था मे बैठ कर माता के मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।' का 108 बार जाप करें । इस दौरान आपका ध्यान अपने अनाहत चक्र पर होना चाहिए ।
दूसरी विधि पद्मासना लगाए और गहरी लंबी सांस लेते और छोड़ते रहे कमर गर्दन सीधी रखें जब सांस अंदर ले तब " य " का मन में जप करें और जब सांस निकाले तब " म " का जप करें ।
अनाहत चक्र को जागृत करने के लिए आपको रोजाना उष्ट्रासन, भुजंगासन, अर्द्धचक्रासन, भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास भी करना चाहिए। आसन और प्राणायाम से सम्बंधित ज्यादा जानकारी के लिए आप यूट्यूब पर योग गुरु पंकज शर्मा या चैनल शरणम ( sharnam ) देख सकते है ।
धन्यवाद
योग गुरु पंकज शर्मा
विशेष - अगले अंक में जाने विशुद्धि चक्र को कैसे जाग्रत कर नवरात्रि में
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