राम प्रसाद निषाद लखीमपुर खीरी,उत्तर प्रदेश। पलिया कला खीरी। धान की फसल से किसानों को काफी उम्मीद लगी रहती है, लेकिन इस बार किसानों दोहरी म...
राम प्रसाद निषाद
लखीमपुर खीरी,उत्तर प्रदेश।
पलिया कला खीरी। धान की फसल से किसानों को काफी उम्मीद लगी रहती है, लेकिन इस बार किसानों दोहरी मार झेल रहे हैं। जहां बरसात कम होने से किसानों को धान की फसल की सिचाई महंगी पड़ी। वहीं दूसरी तरफ कम भाव मिलने से किसान चितित हैं और उनके सामने लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
पलिया तहसील के किसान सबसे अधिक धान की बुवाई करते हैं। जिसमें गेहूं की फसल के अलावा धान की फसल से ही किसानों को काफी उम्मीद लगी रहती है। इसके सहारे ही किसान अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। साथ ही लिए कर्ज को देने के लिए भी किसानों को धान की फसल से काफी उम्मीद लगी रहती है। जब किसानों ने धान की फसल की बुवाई की थी। उस समय किसान बरसात के लिए इंद्रदेव की प्रार्थना करने लगे थे, लेकिन बारिश नहीं हो सकी। किसी तरह किसानों ने धान की फसल को पक कर तैयार कर लिया और कटाई के बाद फसल को मंडी तक पहुंचाना शुरू कर दिया। किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें धान की फसल का उचित दाम मिल सकेगा, लेकिन फसल कटाई के बाद उचित दाम मिलने की आस में मंडी में लाइन लगाकर टोकन लेना और समय का इंतजार करना यही सबसे बड़ी परेशानी का सबब है कि किसान घंटो लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करता है लेकिन समय पर पैसा ना मिलने से परेशानियां भी उत्पन्न होने लगती है सबसे ज्यादा परेशानी लेनदेन वालों को होती है जो कर्जा या लोगों से उधारी लेकर फसलों को उगाते हैं और सही समय पर पैसे देने का वादा करते हैं लेकिन सरकार के धीमी गति से मिलने वाला मुद्रा उन सभी किसानों के माथे पर शिकन ला देती है जो बकाया लेने के लिए किसानों के घरों पर चक्कर लगाने शुरू कर देते हैं यही नहीं यहां तक कि लेबरों को देने के लिए भी किसानों के पास पैसे नहीं रहते हैं क्योंकि किसान के पास जितना भी पैसा इखट्टा करके रखे रहता है वह सब फसल की बुवाई में लगा दिया और लोगों से कर्जा लेकर भी लगाते है लेकिन उसके बाद भी अगर सही समय पर पैसा नहीं मिला तो कर्जदार किसान की जान खाने लगते हैं इसी वजह से किसान सबसे ज्यादा परेशान रहता है। अब बात करते हैं सरकार की जो बड़े-बड़े दावे करने के बाद किसानों की परेशानियों को दूर नहीं कर पाती है जिसका सीधा फायदा बिचौलियों को जाता है बिचौलिए भी इसी हाल में खूब मजे मार रहे हैं क्योंकि मनमाने धान के मुल्य को गिराकर उनकी परेशानियों को दोगुना बढ़ाने पर तुले हुए हैं ।
बोले किसान
कृषि विधेयक पास करके सरकार किसानों को राहत देने की बात कह रही है, लेकिन वर्तमान में किसानों को उनकी धान का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। फसल में लगाई गई लागत भी निकलना मुश्किल हो रही है।
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