न्यूज़ ऑफ इंडिया (एजेंसी) हैदरगढ़ बाराबंकी हैदरगढ़ क्षेत्र के नरौली गांव में महापुराण श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिवस की कथा में व्यास मुरली...
न्यूज़ ऑफ इंडिया (एजेंसी)
हैदरगढ़ बाराबंकी
हैदरगढ़ क्षेत्र के नरौली गांव में महापुराण श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिवस की कथा में व्यास मुरली मनोहर शास्त्री जी ने महाराज परीक्षित की अनेक जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए सुदामा चरित, दत्तात्रेय जी के २४गुरुओं और परीक्षित मुक्ति के संदर्भों का सारगर्भित विश्लेषण किया। कथा में भौमासुर, मुसलमान भक्त काले खां,पौंड्र,द्विविद वानर और बलराम जी से सम्बंधित प्रसंगों का वर्णन किया।
भगवान श्री कृष्ण के परम प्रिय मित्र सुदामा के चरित्र का मनोहारी चित्रण करते हुए कहा..
कृष्णस्य आसीत सखा,कश्चित ब्राह्मण वित्तमह।
विरक्त इन्द्रियार्थिस्व प्रशांत आत्मा जितेन्द्रिय:।।
प्राय: सुदामा को विरक्त कहा जाता है जबकि वे ग्रहस्थ थे। आसक्त और विरक्त का भेद बताते हुए शास्त्री जी ने कहा कि विरक्त वह है जो ईश्वर में आसक्त है और आसक्त वह है जो संसार में आसक्त है। भागवत के वक्ता को विरक्त वैष्णव कहा गया है।
जो सुदामा को दरिद्र कहते हैं वे भ्रम में हैं, वस्तुत: सुदामा निर्धन थे दरिद्र नहीं। निर्धन वह है जिसके पास धन नहीं,दरिद्र वह है जो असंतोषी है। सुदामा परम संतोषी थे।
व्यास जी ने धर्मभीरु और धर्मनिष्ठ की विवेचना करते हुए कहा कि धर्मभीरु अपने पुण्य कर्मों को बहुत व्यापक रूप से प्रचारित करते फिरते हैं जबकि पापों को छिपाते हैं। ययाति ने जीवन में इतना पुण्य कमाया कि वे इंद्र के समकक्ष पहुंच गए लेकिन अपने पुण्यों का गुणगान करने के कारण इंद्रासन पद के समीप पहुंचकर अपदस्थ हो गये।
इसीलिए मानव को अपने पुण्य आत्मसात करते हुए अपने पापों को प्रचारित करना चाहिए।
इस साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ में व्यास जी के सहयोगी आचार्य हरिशंकर भारद्वाज, आचार्य श्यामबिहारी,विकास परासर, श्यामसुंदर और झांकी प्रस्तुत करने वाले राकेश कुमार शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कथा में पं रामशंकर मिश्र, अभिषेक मिश्रा, भूपेंद्र मिश्र प्रियांशु, ओमप्रकाश अवस्थी, परशुराम यादव, हरिशंकर मिश्र,ब्रजेश मिश्रा, सुशील तिवारी, धर्मेन्द्र मिश्रा, सुधीर मिश्रा,प्रवीण मिश्रा, ध्रुव तिवारी, राजनारायण तिवारी, महेश शुक्ल,रामसरन तिवारी, शिवकुमार तिवारी आदि भक्तगण उपस्थित रहे।
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