रिपोर्टर सतीश मिश्रा सलोन रायबरेली पंचांग के अनुसार आज यानी 25 जुलाई दिन शनिवार को नाग पंचमी है हिंदू धर्म में देवी देवताओं के स...
रिपोर्टर सतीश मिश्रा
सलोन रायबरेली पंचांग के अनुसार आज यानी 25 जुलाई दिन शनिवार को नाग पंचमी है हिंदू धर्म में देवी देवताओं के सम्मान उनके प्रतीकों और वाहनों की भी पूजा अर्चना की जाती है। और इसको एक परंपरा भांति निभाया जाता है। देवी-देवताओं के प्रतीक और वाहन भी प्रकृति के अभिन्न हिस्सा है। इसमें जानवर पक्षी, सरीसृप, फूल, वृक्ष, शामिल है। नागपंचमी भी इसी तरह का त्यौहार है। जो हर साल मनाया जाता है इस दिन मुख्य रूप से सांप या नाग देवता की पूजा अर्चना की जाती है। नागपंचमी के मौके पर लोग दिनभर व्रत रखते है। और सांपों को पूजा करते हैं और दूध पिलाते हैं नागपंचमी का व्रत बेहद फलदाई व शुभ माना जाता है।
*नाग पंचमी की तिथि*
नाग पंचमी की प्रारंभ तिथि 24 जुलाई 2020 को दोपहर 2:34 से
नाग पंचमी की समाप्ति तिथि 25 अगस्त 2020 को दोपहर 12:02 तक।
*नाग पंचमी का महत्व*
हिंदू धर्म में नाम को देवता का रूप माना जाता है। और उनकी पूजा का विधान है दरअसल नाग को आदि देव भगवान शिव शंकर के गले का हार और सृष्टि के पालन करता हरि विष्णु की शैय्या माना जाता है। इसके अलावा नागों का लोगों के जीवन से भी नाता है। सावन के महीने में जमकर बारिश होती है।और इस वजह से नाग जमीन से निकल कर बाहर आ जाते है। माना जाता है कि नाग देवता को दूध पिलाया जाए और उनकी पूजा की जाए तो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते है। यही नहीं कुंडली दोष दूर करने के लिए भी नागपंचमी का अत्यधिक महत्व है। *नागपंचमी पर पूजा विधि*
- सुबह स्नान करने के बाद घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाए।
-मन में व्रत का संकल्प ले।
- नाग देवता का आवाहन कर उन्हें बैठने का आसन दे।
- फिर जल, पुष्प, चंदन का अघर्य दे।
- दूध दही घी शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को व स्नान कराएं।
- इसके बाद प्रतिमा पर चंदन गंध से युक्त जल चढ़ाना चाहिए।
- खेल लड्डू और मालपुए का भोग लगाएं।
- फिर सौभाग्य सूत्र चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, पुष्पमाला, सौभाग्य द्रव्य, धूप-दीप, ऋतु फल,और पान का पत्ता चढ़ाने के बाद आरती करें।
- माना जाता है कि नाग देवता कुछ सुगंध अतिप्रिय है। इस दिन नाग देव की पूजा सुगंधित पुष्प और चंदन से करना चाहिए।
- नाग पंचमी की पूजा का मंत्र इस प्रकार है " ऊँ कुरूकुल्ये हुं फट स्वाहा"!!
- शाम के समय नाग देवता की फोटो या प्रतिमा की पूजा कर अमृतवाणी और फलाहार ग्रहण करे।
*नाग पंचमी की कथा*
लोक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण के मामा ने उन्हें मारने के लिए कालिया नाम का नाग भेजा था। एक दिन जब कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे। तो उनकी गेंद नदी में गिर गई थी जब वह गेंद लाने के लिए नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया था। लेकिन श्रीकृष्ण के आगे नाग की एक न चली। उसने भगवान श्रीकृष्ण से माफी मांगते हुए वचन दिया कि वह गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। वहां से हमेशा हमेशा के लिए चला जाएगा। कालिया नाग पर श्री कृष्णा की बिजय को ही नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
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