सुशील सिंह *ई-पास घोटाला प्रशासन को खुली चुनौती* रायबरेली, देश में फैली वैश्विक महामारी कोरोना से जंग लड़ने में व्यापारी वर्ग की ...
सुशील सिंह
*ई-पास घोटाला प्रशासन को खुली चुनौती*
रायबरेली, देश में फैली वैश्विक महामारी कोरोना से जंग लड़ने में व्यापारी वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सम्पूर्ण देश में घोषित लाकडाउन के दौरान व्यापारी वर्ग ने अपने-अपने छोटे-बड़े सभी प्रकार के प्रतिष्ठान बन्द रखकर अखण्डता में एकता का परिचय दिया। लाकडाउन के दौरान जनपद के व्यापारियों ने संयम, समन्वय और संवेदनशीलता की मिसाल कायम की। किराना व्यापारी, सब्जी व्यापारी एवं दवा व्यवसाइयों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर लोगों को घर-घर आवश्यक सामग्री पहुंचाकर अपनी सेवायें दीं। प्रधानमन्त्री के आग्रह पर लाकडाउन में छोटे-बड़े व्यापारियों ने अपने-अपने कर्मचारियों को पूर्ण वेतन दिया, विद्युत बिल, दुकान का किराया एवं बैंकों के कर्ज की अदायगी भी की। किन्तु रायबरेली जनपद में लाकडाउन के समाप्त होते ही जब व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले तो बाजार के अन्दर कभी मास्क के नाम पर, कभी सोशल डिस्टेन्सिंग के नाम पर तो कभी दुकानों को प्रशासन द्वारा निर्धारित समय से पूर्व बन्द कराने के नाम पर उत्पीड़न भी किया गया, आम जनमानस के उत्पीड़न की आवाज समय-समय पर उठाने वाले सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पूर्व डीजीसी ओ.पी. यादव तक पहुंची तो श्री यादव ने प्रकरण को संज्ञान में लेकर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की। श्री यादव की इस मांग को प्रशासन ने गम्भीरता से लिया और मास्क के नाम पर पुलिस द्वारा किया जा रहा उत्पीड़न थमा। उल्लेखनीय है कि व्यापारी वर्ग कुर्बानी भी दे और अपना उत्पीड़न भी करवाये, यह कहां का न्याय है। दुःख इस बात का है कि लाकडाउन के बाद जब व्यापारियों ने अपनी दुकानें खोलीं तो मास्क, सैनेटाइजर एवं जबरन अपने व्यापार मण्डल का कार्ड लगवाने के नाम पर लाखों रूपये की अवैध कमाई में भी एक तथाकथित व्यापारी नेता का नाम सामने आया, जो कि प्रशासन की चरणवंदना कर खुद को स्थापित करने के लिए नीचता की सारी हदें पार कर रहा है। इस तथाकथित व्यापारी नेता को यह समझना आवश्यक है कि अपने राजनैतिक एवं आर्थिक आका को खुश करने के लिए किसी मजबूर की मजबूरियों का फायदा उठाना ठीक नहीं है, उन्हें यह याद रखने की आवश्यकता है कि - दुर्बल को न सताइये, वां की मोटी हाय। बिना सांस की चाम से, लौह भसम होई जाय। कोरोना के मरीज मिलने से विशम्भर मार्केट, घंटाघर, चिड़ियाखाना आदि जगह तो बन्द कर दिये गये किन्तु प्रतिदिन अस्पताल परिसर में मरीज मिल रहे हैं, फिर भी अस्पताल के बाहर 200 कदम की दूरी तक दुकानें क्यूं खुली है, यह एक प्रश्न चिन्ह है। व्यापारी वर्ग बाजार बन्द करने से पीछे नहीं उठ रहा है, किन्तु वह चाहता है कि निष्पक्ष रूप से दुकानें बन्द करायी जायें। लाकडाउन के दौरान जनपद का चर्चित ई-पास घोटाला काण्ड में कोई कार्यवाही न होना प्रशासन को खुली चुनौती है। ई-पास घोटाले की जांच किसी सक्षम ईमानदार, न्यायप्रिय, कर्मठ अधिकारी से कराया जाना न्यायोचित होगा, जिससे भविष्य में कोई राष्ट्रीय आपदा के समय प्रशासन की छवि धूमिल करने का प्रयास न कर सके।
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