राम प्रसाद निषाद की रिपोर्ट पलियाकलां-खीरी मझगई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पलिया निघासन के बीच एकलौता केंद्र बना है ज़हां मरीजो को स्वस्थ ...
राम प्रसाद निषाद की रिपोर्ट
पलियाकलां-खीरी मझगई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पलिया निघासन के बीच एकलौता केंद्र बना है ज़हां मरीजो को स्वस्थ सेवा न मिलने कारण इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है वही पलिया से 15 कि.मी. या फिर निघासन 22 कि. मी. दूरी तय करना पड़ता है यदि मरीज की हालत बिगड़ जाय तो आने जाने में ही दम तोड़ देता है जब कि मझगई कस्बे में बने केंद्र पर नजदीक होने से मरीज आता है पर भरपूर समय से इलाज व दवाइयां न मिल पाने से मायूस होकर लौटना पड़ता इस स्वस्थ केंद्र से जुड़े नोगवा, तिलोकपुर,कोठिया,गुलरा,भगवंतनगर, बबोरा, खलेपुरवा,बेलाकलां, बल्लीपुर मुर्गहा,पतिया, सलीम बाद, समेत लग-भग 54 गांव जुड़े हुए हैं। करोड़ों की लागत से बनी मझगई कस्बे में प्रथमिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों के उपचार के लिए आवश्यक सुविधाएं भी जुटाई गई हैं, लेकिन इसके बावजूद भी यहां पर तैनात डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी मरीजों को इन सुविधाओं का लाभ दिलाने के लिए गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। लापरवाही के चलते सीएचसी पर मरीजों के लिए पर्याप्त दवाइयों का टोटा बना रहता है। यहां पर दिन में ड्यूटी के दौरान डाक्टर अक्सर ओपीड़ी से नदारद मिलते हैं, वहीं अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी भी सीएचसी पर ड्यूटी के बजाय दिन में अपने घर की जरूरतों को पूरा करने पर विशेष ध्यान देते हैं। लापरवाही का मंजर ऐसा है कि यहां पर दिन में कैम्पस में बने आवास कक्ष में रहते है। मरीज के आने पर फोन कर बुलाया जाता आने के बाद आवास पर निकल जाते है ऐसे में यहां इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीज खुद को ठगा सा महसूस करते हैं। डाक्टरों और स्वास्थ्य अमले की लापरवाही के चलते क्षेत्र के लोग प्रथमिक स्वस्थ केंद्र इलाज के लिए पहुंचने के बजाय पलिया और निघासन अस्पताल पहुंचकर इलाज कराना उचित समझते हैं। ऐसे में सरकार की मंशाओं पर पानी फेरने वाले स्वास्थ्य अमले को यहां पर भारी राहत महसूस हो रही है। मझगई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों के लिए सुविधाएं तो हैं, लेकिन सुविधाएं देने वाले लोग मरीजो के लिए बेड व सारी सुविधएं तो है पर यहां एक्सीडेंट के मरीजों को लेकर एंबुलेंस पहुंचती है, लेकिन डाक्टर की सक्रियता नहीं होने से अधिकांश मरीजों को कागजों में प्राथमिक उपचार देकर रेफर कर दिया जाता है। फिलहाल अस्पताल की अधिकांश स्वास्थ्य सेवाएं 108 व 102 एंबुलेंस की बदौलत चल रही हैं। यहां पर स्पेशलिस्ट चिकित्सकों की कमी है, लेकिन जो चिकित्सक तैनात हैं, वें भी अपने कार्य के प्रति गंभीर नही हैं। जब भी स्वास्थ्य विभाग के हालातों का जायजा लिया जाय मौके पर तैनात डाक्टर व कर्मचारी नदारद मिलेंगे। यहां इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों का यह भी आरोप है कि डा. उन्हें सरकारी डिस्पेंसरी से दवाई देने के बजाय अधिकांश बाहर से दवाईयां लिख रहे हैं, जिसके चलते एक रुपए की पर्ची में उपचार कराने के लिए पहुंचने वाले मरीजों को डाक्टरों के कमीशन के चक्कर में सैकड़ों रुपए की चपत लग जाती है।
स्वास्थ्य केन्द्र पर सरकारी टंकी से मरीजों को पेयजल की व्यवस्था उपलब्ध होती है, जिसके द्वारा पानी की सप्लाई समय सारिणी के हिसाब से ही होती है। इसके चलते यहां पहुंचने वाले मरीज केंद्र के अंदर लगे हेंडपाइप से पानी भरने आये कस्बे ग्रामीणों की भीड़ लगने से पेयजल के लिए मरीज इधर-उधर भटकते देखे जा सकते हैं। यदि प्राथमिक केंद्र के भवन को देखा जाए, तो यहां पर गंदगी की भरमार नजर आती है। कूड़े का उचित प्रबंधन नहीं होने और सफाई व्यवस्था नही होने के चलते यहां पर गंदगी और झाड़ झंकाड़ नजर आते हैं।बतादे की वर्ष में एक दो बार विभागों से आलाधिकारी आने के बावजूद भी यहां के हालात जस के तस बने हैं।
*जर्जर है कई उपकेंद्र*
प्राथमिक स्वास्थ्य में कई उपकेंद्र भी हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अक्सर डाक्टरों के मौजूद नही रहने की शिकायतें मिलती है, तो वहां उपकेंद्रों के हालात तो इससे भी बदतर है।जैसे मलनिया व इटेय्या कस्बे में उपकेंद्रों पर ताला लगा दिखाई देता है, डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की लापरवाही के चलते सीएचसी का हाल बेहाल है।
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