भीलवाड़ा, राजस्थान (भैरु सिंह राठौड़)! आज की दुनिया में बेदर्द जमाने के हंसी दर्द को जिस तरह शब्दों की माला में सारगर्भित तरीके से पिरोकर...
भीलवाड़ा, राजस्थान (भैरु सिंह राठौड़)! आज की दुनिया में बेदर्द जमाने के हंसी दर्द को जिस तरह शब्दों की माला में सारगर्भित तरीके से पिरोकर कानपुर (उतरप्रदेश) की प्रख्यात लेखिका रंजना मिश्रा ने दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया है, वो वाकई काबिले तारीफ है! उक्त बेस कीमती अनमोल शब्दों में एक दूसरे के प्रति इंसान की मनो भावना का पता चलता है, और आज की दुनिया में कोई इंसान इस दर्द को लेकर किस तरह जीता है, लेखिका रंजना मिश्रा ने इस कविता में बखूबी समझाया है!
जमाने का पैमाना
जमाने का ये पैमाना
हमें अच्छा नहीं लगता
कोई हंसता कोई रोता
हमें अच्छा नहीं लगता
कोई है भूख से व्याकुल
कोई महलों में सोता है
गरीबी में बहा आंसू
हमें अच्छा नहीं लगता
किसी पर इतनी रहमत है
किसी के खून के आंसू
कोई जिल्लत उठाता है
हमें अच्छा नहीं लगता
यहां हर एक मुज़रिम है
सजा किस्मत की पाता है
मगर बदकिस्मती का फैसला
अच्छा नहीं लगता
करे अच्छाइयां इंसान
हो खुशियां जमाने में
गुनाहों का सफ़र दुनिया में
ये अच्छा नहीं लगता
मिली है गर सजा इनको
हमारी भी परीक्षा है
गमों में साथ न देना
हमें अच्छा नहीं लगता
लेखिका - रंजना मिश्र
कानपुर (उत्तरप्रदेश)
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