इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जिसे आम बोलचाल की भाषा में नपुंसकता भी कहते हैं इरेक्टाइल डिसफंक्शन एक ऐसी समस्या है, जिसके बारे में आमतौर पर लोग बा...
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जिसे आम बोलचाल की भाषा में नपुंसकता भी कहते हैं इरेक्टाइल डिसफंक्शन एक ऐसी समस्या है, जिसके बारे में आमतौर पर लोग बात करना पसंद नहीं करते। उन्हें लगता है कि इससे उनकी मर्दानगी को लेकर सवाल उठेगा या फिर लोग उनका मजाक उड़ाएंगे। लेकिन यह वास्तव में एक गंभीर समस्या है और अगर इसके बारे में खुलकर बात ना की जाए तो व्यक्ति का पूरा वैवाहिक जीवन बर्बाद हो जाता है। अगर किसी को लगातार इरेक्टाइल डिसफंक्शन की परेशानी होती है तो इसके लिए उपचार की जरूरत है
योग गुरु पंकज शर्मा जी ने बताया कि नपुसंकता या इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने के कईं कारण हो सकते हैं जिसमें से कुछ प्रमुख है
1. हृदय रोग
2. मधुमेह
3. उच्च रक्तचाप
4. उच्च कोलेस्ट्रॉल
5. मोटापा
6. कम टेस्टोस्टेरोन का स्तर या अन्य हार्मोन असंतुलन
7. गुर्दे की बीमारी
8. बढ़ती उम्र
9. तनाव
10. चिंता
11. डिप्रेशन
12. रिश्ते की समस्याएं
13. उच्च रक्तचाप या अवसाद का इलाज करने के लिए दवाओं का सेवन
14. नींद संबंधी विकार
15. नशीली दवाओं के प्रयोग
16. बहुत अधिक शराब का सेवन करना
17. तंबाकू उत्पादों का उपयोग करना
18. किसी चोट या सर्जरी के कारण पेल्विक एरिया को नुकसान पहुंचना
19. कुछ स्वास्थ्य स्थितयिाँ, जैसे पार्किंसंस रोग या मल्टीपल स्केलेरोसिस आदि।
नीम हकीमों से रहें हमेशा सावधान
नपुसंकता या इरेक्टाइल डिसफंक्शन समस्या से परेशान लोगों को हर बार ठगा जाता हैं क्योंकि इन दावों पर यकीन करके आजमाने वाले लोग अक्सर ठगे जाते हैं। ठगे जाने वाले लोग फायदा न होने पर कई बार शर्म के कारण खुलकर अपना अनुभव भी लोगों से शेयर नहीं करते हैं। इसी स्थिति का फायदा नीम-हकीम से लेकर वैद्य और लंदन से डिग्री लेकर लौटने का दावा करने वाले या खानदानी दवा खाना , पीढ़ियों के आजमाए ठग उठाते हैं और अपना धंधा चलाते रहते हैं। इन दिनों अखबार से लेकर दीवार पर लिखे विज्ञापन तक, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या को स्वस्थ करने का दावा करते हैं। इन ठगों की दी हुई दवाइयां आपको गंभीर बीमारियों का मरीज भी बना सकती हैं। इसलिए कभी भी इन नीम हकीमों पर भरोसा बिल्कुल न करें।
योगासनों से करें अपना इलाज 👉
इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या होने पर आसानी से इलाज किया जा सकता है। हालांकि इलाज से पहले इसके कारण को जानना जरूरी है। मसलन, अगर रिलेशन में समस्या या तनाव आदि के कारण यह समस्या है तो थेरेपी के जरिए इसका इलाज संभव है। वहीं किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह पर दवाइयों का सेवन किया जा सकता है। इतना ही नहीं, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर भी इस समस्या को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है
योग गुरु पंकज शर्मा जी कुछ प्रमुख योगासन को करने की विधि बता रहे है जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन या नपुसंकता को ठीक करने में मदद करते हैं योग और ध्यान से संबंधित वीडियो की ज्यादा जानकारी के लिए आप यूट्यूब पर सर्च कर सकते है योग गुरु पंकज शर्मा या चैनल का नाम शरणम (sharnam ) ।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए योग बद्ध कोणासन –
स्तंभन दोष में सुधार करने के लिए बद्ध कोणासन बहुत ही सरल आसन हैं इसे कोई भी कर सकता हैं। इसे अंग्रेजी में लोग बाउंड कोण मुद्रा के नाम से भी बुलाते हैं। यह आसन आंतरिक जांघों और कमर को खींचने के साथ, यह मूत्राशय, गुर्दे, और पेट के अंगों के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि को उत्तेजित करता है। यह प्रजनन अंगों में रक्त का प्रवाह बढ़ाता है।
इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को साफ जगह में बिछा के दोनों पैरों को सीधा करके बैठ जाएं। इसके बाद दोनों पैर को अपनी ओर मोड़ लें और दोनों पैरों के पंजों से पंजे मिलाएं। अब दोनों हाथों से घुटनों को धीरे-धीरे दबाएँ जिससे दोनों घुटने फर्श पर रख जाएं। इस मुद्रा को आप 2 से 3 मिनिट के लिए करें। ध्यान रखें की अगर आपके घुटने जमीन पर नहीं आ रहे हैं तो इसे जबरजस्ती करने का प्रयास ना करें।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए योग पश्चिमोत्तानासन –
स्तंभन दोष के लिए योग पश्चिमोत्तानासन पेल्विक मांसपेशियो को आराम दिलाने में मदद करता हैं। यह आसन उन लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है जो लंबे समय तक बैठने से तनावग्रस्त होते हैं। यह बेहतर रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता हैं, जिससे स्तंभन दोष (नपुंसकता) को दूर करने में मदद मिलती है। यह मुद्रा आपको शांत करने और हल्के अवसाद से राहत देने का काम करती है।
पश्चिमोत्तानासन करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा करके दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा के सीधे कर लें। अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुके और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजे पकड़ लें। अपनी सिर को घुटनों पर रख दें। इस आसन को 20 से 60 सेकंड के लिए करें।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए धनुरासन –
धनुरासन एक संस्क्रत शब्द हैं, इसमें “धनुर”का अर्थ “धनुष” हैं। इस आसन में आपकी स्थिति ऊपर उठे हुए धनुष के सामान दिखाई देती हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए धनुरासन योग लाभदायक होता है। यह आसन प्रजनन अंगों को उत्तेजित करने और रक्त को इन क्षेत्रों में ले जाने में मदद करता है । यह आसन आपके शरीर के सामने की सभी मांसपेशियों को फैलाने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं, दोनों हाथों को शरीर के समान्तर रखें और पैरों को पीछे की ओर मोड़ लें। अब अपने हाथों को पीछे ले जाएं और दोनों पैरों को दोनों हाथों से पकड़ लें। इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें। अंत में दोनों हाथों को खोल के अपनी प्रारंभिक स्थिति में आयें।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए योग जानुशीर्षासन –
जानुशीर्षासन योग में सिर पूरी तरह से आपके घुटनों को छूता हैं। इस आसन को खाली पेट किया जाता हैं। यह आसन जांघों, हैमस्ट्रिंग, कूल्हे के जोड़ों, पीठ, हाथों और कंधों का लचीलापन बढ़ाने में मदद करता हैं। जिससे यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए काफी लाभदायक माना जाता है यह दिल और दिमाग दोनों को शांत करता है और यह पूरे शरीर को भी फैलाता है। यह आसन आपके शरीर को गर्म भी करता हैं।
जानुशीर्षासन करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा करके बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर को मोड़ के बाएं पैर की जांघ पर रखें। अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें सीधा खड़ा करें। अब अपने ऊपर के शरीर को बाएं पैर की ओर नीचे झुकाएं और बाएं पैर के पंजें को पकड़ लें। अपने सिर को बाएं पैर के घुटने पर रख लें। इस मुद्रा में रहते हुयें 5 से 10 बार साँस लें।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए योग नवासना –
नौकासन योग मुद्रा प्रोस्टेट ग्रंथि के कार्य को स्वस्थ रखने में मदद करती है। स्तंभन दोष के लिए योग लाभदायक माना जाता है यह आसन पीठ की मांसपेशियों और थायरॉयड को मजबूत करने का कम करता है। यह आसन पेट के पाचन तंत्र की कार्य प्रणाली को सुधारने में भी मदद करता है। नवासना करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के दण्डासन में बैठ जाएं। अब दोनों पैरों को सीधा रखें हुए ऊपर की ओर उठायें। आप थोड़ा सा पीछे की ओर झुक जाएं जिससे संतुलन बना रहे, हाथों को अपने आगे की ओर सीधा और फर्श के समान्तर रखें। इस मुद्रा में अपनी कमर पर 45 डिग्री का कोण बनाए। इस आसन को आप 20 से 60 सेकंड तक करने का प्रयास करें।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए योग उत्तानासन –
उत्तानासन स्तंभन दोष के लिए प्रभावी योग माना जाता है इस आसन को आगे झुक के किया जाता हैं यह आसन आपको तनाव मुक्त रखने में मदद करता हैं इसके अलावा यह पाचन में सुधार और पेट में अंगों को उत्तेजित करते हुए इरेक्टाइल डिसफंक्शन को ठीक करने में भी मदद करता है। उत्तानासन करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास-पास रखें और अपने दोनों हाथों को ऊपर सीधा कर लें। अब धीरे-धीरे सामने को ओर कमर से नीचे झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजों को छूने की कोशिश करें। इस आसन में आप 60 से 90 सेकंड के लिए रहें फिर आसन से बाहर आयें।
जानकारी पसंद और समझ आई हो तो दूसरों को शेयर करें ।
धन्यवाद
COMMENTS