न्यूज़ ऑफ इंडिया (एजेंसी) बाराबंकी: 09 अगस्त,2025 जीवन की कठिनाइयों को पार कर एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले रियाज आलम ने अपनी मेहनत...
न्यूज़ ऑफ इंडिया (एजेंसी)
बाराबंकी: 09 अगस्त,2025
जीवन की कठिनाइयों को पार कर एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले रियाज आलम ने अपनी मेहनत और लगन से रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB-JE 2024) में सिविल इंजीनियरिंग (अनुसंधान एवं विकास अभियंता) में चयन हासिल कर एक मिसाल कायम की है।
बाराबंकी जिले के थाना मसौली,गांव बांसा शरीफ के निवासी रियाज,पुत्र मोहम्मद हारून, ने अपने संघर्षपूर्ण सफर में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने की ठान ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दी।
संघर्षों भरा रहा सफर
रियाज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राम सेवक यादव मेमोरियल हाईस्कूल, सत्य प्रेमी नगर, बाराबंकी से पूरी की और इंटरमीडिएट श्री गांधी पंचायत इंटर कॉलेज, सादतगंज, बाराबंकी से किया। इसके बाद उन्होंने राजकीय पॉलीटेक्निक, गोंडा से डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग और जहांगीराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बाराबंकी से बी-टेक इन सिविल इंजीनियरिंग पूरा किया। उनके इस सफर में कई कठिनाइयां आईं। आर्थिक तंगी ने उनके रास्ते में रोड़े अटकाए, परिवार में कोई शिक्षित व्यक्ति नहीं था जो उन्हें उचित मार्गदर्शन दे सके। सबसे दुखद मोड़ तब आया जब उनके मम्मी-पापा का निधन हो गया। लेकिन रियाज ने हिम्मत नहीं हारी। वे कहते हैं, “मेरे मम्मी-पापा का सपना था कि मैं एक अच्छे मुकाम पर पहुंचूं। उनकी यह इच्छा प्रेरणा बनी।”
भाई, दोस्त और गुरुजनों का मिला साथ
रियाज की मम्मी ने जीवित रहते हुए हमेशा उनका हौसला बढ़ाया, और उनके निधन के बाद भी उनकी प्रेरणा रियाज के दिल में जिंदा रही। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण रियाज हर महीने गांव में लगने वाले नौचंदी मेले में दुकान पर बैठकर कुछ पैसे कमाते थे। पिता के निधन के बाद उनके भाई सिराज आलम ने पढ़ाई में आर्थिक और भावनात्मक रूप से उनका साथ दिया। उनके दोस्त गोविंद केशरी ने भी उन्हें हमेशा प्रेरित किया।
रियाज बताते हैं, “मेरे गुरुजन सुमित सेंगर और बलवीर सिंह ने मुझे ऑनलाइन तैयारी के दौरान सही मार्गदर्शन दिया, और मेरे भाई सिराज व दोस्त गोविंद ने मेरी हिम्मत बढ़ाई।”
सपनों को दी उड़ान
रियाज की मेहनत और लगन का फल उन्हें RRB-JE 2024 में अनुसंधान एवं विकास अभियंता के रूप में चयन के रूप में मिला। वे कहते हैं, “मैं खुदा का शुक्रगुजार हूं और अपने भाई सिराज, दोस्त गोविंद केशरी, और गुरुजनों सुमित सेंगर व बलवीर सिंह का आभारी हूं, जिनके समर्थन और मार्गदर्शन से मैं आज इस मुकाम पर पहुंचा।”
रियाज की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को हकीकत में बदलने की हिम्मत रखता है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे बांसा शरीफ गांव और थाना मसौली क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।
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