17 सितंबर 2025 भारत में अवैध सूदखोरी (साहूकारी) एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्या है, जो सदियों से चली आ रही है। यह प्रथा, जिसम...
17 सितंबर 2025
भारत में अवैध सूदखोरी (साहूकारी) एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक समस्या है, जो सदियों से चली आ रही है। यह प्रथा, जिसमें लोग उच्च ब्याज दरों पर कर्ज देते हैं, ग्रामीण समुदायों में गरीबी, शोषण और सामाजिक असमानता को बढ़ावा देती है।आर्थिक शोषण और गरीबी का दुष्चक्र अवैध सूदखोरी का सबसे बड़ा दुष्परिणाम आर्थिक शोषण है। साहूकार अक्सर 50% से 100% या उससे भी अधिक ब्याज दरों पर कर्ज देते हैं। ग्रामीण लोग, जो ज्यादातर छोटे किसान, मजदूर या गरीब परिवारों से होते हैं, इन कर्जों को चुकाने में असमर्थ रहते हैं। नतीजतन, वे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं, जहां मूलधन के साथ-साथ ब्याज का बोझ बढ़ता जाता है। यह स्थिति उन्हें और गहरी गरीबी में धकेल देती है, क्योंकि उनकी आय का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में चला जाता है। साहूकार अक्सर कर्ज न चुका पाने वालों पर दबाव डालने के लिए हिंसा, धमकी और अपमानजनक व्यवहार का सहारा लेते हैं। ग्रामीण इलाकों में, जहां सामाजिक संरचना और पारिवारिक सम्मान महत्वपूर्ण होता है, कर्जदारों को सामाजिक बहिष्कार, अपमान और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। कई बार कर्जदार आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं, क्योंकि वे इस बोझ से मुक्ति का कोई रास्ता नहीं देख पाते। अवैध सूदखोरी के कारण कई ग्रामीण परिवार अपनी जमीन, मवेशी या अन्य संपत्ति खो देते हैं। साहूकार अक्सर कर्ज के बदले संपत्ति को हड़प लेते हैं, जिससे परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ जाती है। छोटे किसानों के लिए जमीन उनकी सबसे बड़ी पूंजी होती है, और इसका नुकसान उन्हें पूरी तरह बर्बाद कर सकता है। ग्रामीण इलाकों में अवैध सूदखोरी के खिलाफ कानूनी जागरूकता और पहुंच की कमी होती है। साहूकार अक्सर अनपढ़ और कमजोर वर्गों का शोषण करते हैं, क्योंकि इन लोगों को अपने अधिकारों और कानूनी उपायों की जानकारी नहीं होती। भले ही भारत में साहूकारी को नियंत्रित करने के लिए कानून (जैसे, मनी लेंडिंग एक्ट) मौजूद हैं, लेकिन इनका कार्यान्वयन ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर है। कर्ज के बोझ तले दबे परिवार अपनी आय का बड़ा हिस्सा साहूकारों को चुकाने में खर्च कर देते हैं, जिसके कारण बच्चों की शिक्षा और परिवार के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते। बच्चों को स्कूल छोड़कर मजदूरी करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, और परिवारों को चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंचने में कठिनाई होती है। यह स्थिति सामाजिक और आर्थिक विकास को और अधिक बाधित करती है। अवैध सूदखोरी सामाजिक असमानता को और गहरा करती है। साहूकार, जो अक्सर समाज के धनी और प्रभावशाली वर्ग से होते हैं, गरीब और कमजोर वर्गों का शोषण करते हैं। इससे समाज में शक्ति का असंतुलन बढ़ता है, और गरीब समुदायों का उत्थान और भी मुश्किल हो जाता है।इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं जैसे कि ग्रामीण लोगों को वित्तीय प्रबंधन और उनके कानूनी अधिकारों के बारे में शिक्षित करना। सरकार को चाहिए कि गरीबों के लिए सहकारी बैंकों और माइक्रोफाइनेंस की पहुंच व सस्ते और वैध कर्ज की सुविधा उपलब्ध कराना। अवैध साहूकारी के खिलाफ कानूनों का प्रभावी प्रभावी से लागू करना। रोजगार के नए अवसर पैदा करके लोगों की आर्थिक निर्भरता कम करना।ग्रामीण इलाकों में अवैध सूदखोरी एक गंभीर समस्या है, जो आर्थिक, सामाजिक और मानसिक स्तर पर लोगों को प्रभावित करती है। यह न केवल व्यक्तियों और परिवारों को नष्ट करती है, बल्कि पूरे समुदाय के विकास को बाधित करती है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार, सामाजिक संगठनों और समुदायों को मिलकर काम करना होगा। शिक्षा, जागरूकता और वैध वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के माध्यम से इस कुप्रथा को जड़ से खत्म किया जा सकता है, जिससे ग्रामीण भारत में एक समृद्ध और समान समाज का निर्माण हो सके।
सुतखोरों से पीड़ित पीड़िता को ध्यान देना जरूरी है कि भारत में अवैध सूदखोर (illegal moneylenders या loan sharks) वे होते हैं जो बिना लाइसेंस के पैसे उधार देते हैं, अत्यधिक ब्याज वसूलते हैं या जबरन वसूली के तरीके अपनाते हैं। इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई राज्य-विशेष कानूनों, भारतीय दंड संहिता (IPC) और अन्य केंद्रीय कानूनों के तहत की जाती है
सूदखोरों द्वारा धमकी, जबरन वसूली या धोखाधड़ी के मामलों में IPC की धाराएं लागू होती हैं,धारा 420: धोखाधड़ी (cheating) सजा,7 साल तक की कैद और जुर्माना।धारा 506: आपराधिक धमकी (criminal intimidation) सजा,2 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों।बधारा 383-384 जबरन वसूली (extortion) सजा, 3 साल तक की कैद और जुर्माना ।धारा 340-342: गलत तरीके से कैद (wrongful confinement) सजा, 1 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों।
अगर सूदखोर हिंसा या धमकी का इस्तेमाल करते हैं, तो ये धाराएं सीधे लागू होती हैं।
- इंद्र यादव,स्वतंत्र लेखक, भदोही ( यूपी )
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