भारत। सड़कों पर दौड़ते विशालकाय ट्रकों के पीछे छिपी है एक ऐसी दुनिया, जहां हर किलोमीटर एक जंग है, हर मोड़ एक खतरा। ये है बंसीधर ...
भारत। सड़कों पर दौड़ते विशालकाय ट्रकों के पीछे छिपी है एक ऐसी दुनिया, जहां हर किलोमीटर एक जंग है, हर मोड़ एक खतरा। ये है बंसीधर यादव जी जो एक साधारण ट्रक ड्राईवर, इसी दुनिया का एक चेहरा है। उत्तर प्रदेश के भदोही से ताल्लुक रखने वाले बंसीधर जी की जिंदगी सड़क पर ही सिमट रही है। सुबह जल्दी उठना, रात दो बजे सोना—यह उनकी दिनचर्या है।
भारत में ट्रक ड्राइवर भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। देश के कोने-कोने में माल ढोने से लेकर आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु रखने तक, उनका योगदान अनमोल है। लेकिन इस महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, ट्रक ड्राइवरों को कई ऐसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, जिन पर समाज और नीति-निर्माताओं का ध्यान कम ही जाता है। ट्रक ड्राइवर अक्सर दिन-रात सड़कों पर बिताते हैं। लंबी दूरी की यात्राएं, समय की पाबंदी और माल की डिलीवरी का दबाव उन्हें लगातार ड्राइविंग के लिए मजबूर करता है। नींद की कमी और थकान न केवल उनकी सेहत को प्रभावित करती है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम भी बढ़ाती है। कई बार, मालिकों या ठेकेदारों का दबाव उन्हें बिना पर्याप्त आराम के ड्राइव करने के लिए बाध्य करता है। ट्रक ड्राइवरों की कमाई अक्सर अनियमित होती है। उनकी आय यात्राओं की संख्या, माल की मात्रा और बाजार की स्थिति पर निर्भर करती है। इसके अलावा, ट्रक का रखरखाव, ईंधन की लागत, टोल टैक्स और रिश्वतखोरी जैसे अनौपचारिक खर्च उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा खा जाते हैं। कई ड्राइवरों को समय पर भुगतान नहीं मिलता, जिससे उनके परिवारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। लंबे समय तक बैठकर ड्राइविंग करने से ट्रक ड्राइवरों में पीठ दर्द, कमर दर्द, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं। सड़कों पर साफ-सुथरे ढाबों और शौचालयों की कमी के कारण उन्हें अस्वास्थ्यकर भोजन और अस्वच्छ परिस्थितियों में रहना पड़ता है। मानसिक तनाव भी उनकी एक बड़ी समस्या है, क्योंकि परिवार से दूर रहना और लगातार काम का दबाव उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। ट्रक ड्राइवरों को समाज में वह सम्मान नहीं मिलता, जिसके वे हकदार हैं। उनकी मेहनत को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। इसके अलावा, सड़कों पर पुलिस, परिवहन अधिकारियों और स्थानीय गुंडों द्वारा उत्पीड़न और रिश्वतखोरी का सामना करना पड़ता है। यह सब उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है। भारत में कई सड़कें खराब हालत में हैं, जिससे ड्राइविंग जोखिम भरी हो जाती है। रात में खराब रोशनी, सड़क पर गड्ढे और अपर्याप्त साइनेज दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। इसके अलावा, लूटपाट और चोरी का डर भी ड्राइवरों को सताता रहता है, खासकर सुनसान इलाकों में। ट्रक ड्राइवर अक्सर हफ्तों या महीनों तक अपने परिवार से दूर रहते हैं। इससे न केवल उनके पारिवारिक रिश्तों पर असर पड़ता है, बल्कि उनके बच्चों की परवरिश और शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उनकी अनुपस्थिति में परिवार को कई बार आर्थिक और भावनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ट्रक ड्राइवरों की इन मुसीबतों को कम करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे कि ड्राइवरों के लिए उचित कार्य घंटों और आराम की अवधि को लागू करना व सड़कों पर साफ-सुथरे रेस्ट स्टॉप, शौचालय और मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था। साथ ही न्यूनतम मजदूरी, समय पर भुगतान और बीमा योजनाओं की शुरुआत हो। रिश्वतखोरी और उत्पीड़न को रोकने के लिए सख्त कानून और उनकी प्रभावी लागू हो। ट्रक ड्राइवरों के योगदान को पहचानकर उन्हें सामाजिक सम्मान देना हमारा फर्ज है। ट्रक ड्राइवर देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनकी मुसीबतें अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। उनकी बेहतरी के लिए समाज, सरकार और उद्योगों को मिलकर काम करने की जरूरत है। उनके कार्य को सम्मान देना और उनकी समस्याओं का समाधान करना न केवल उनके जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि देश की आपूर्ति श्रृंखला को भी और मजबूत करेगा।
- इंद्र यादव - स्वतंत्र लेखक,भदोही, indrayadavrti@gmail.com
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