28 सितंबर 2025 भारत की धार्मिक परंपराओं में संतों और बाबाओं का स्थान हमेशा से सम्मानजनक रहा है। लाखों भक्त इनकी शरण में आते हैं,...
28 सितंबर 2025
भारत की धार्मिक परंपराओं में संतों और बाबाओं का स्थान हमेशा से सम्मानजनक रहा है। लाखों भक्त इनकी शरण में आते हैं, आशीर्वाद की उम्मीद में। लेकिन यह आस्था का अंधकारमय पक्ष भी है, जहां कुछ स्वघोषित 'गुरु' महिलाओं का शोषण और बलात्कार करने से नहीं चूकते। ये 'गॉडमेन' न केवल धार्मिक विश्वास का फायदा उठाते हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक कमजोरियों का भी। हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जो समाज को झकझोर देते हैं। भारत में 'संत बाबाओं' द्वारा महिलाओं के शोषण की जड़ें गहरी हैं। सबसे कुख्यात नामों में से एक है आसाराम बापू, जिन्हें 2018 में राजस्थान के जोधपुर में एक नाबालिग लड़की के बलात्कार के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई गई,2023 में गुजरात की एक अदालत ने उन्हें दोबारा बलात्कार और यौन शोषण के लिए उम्रकैद दी। आसाराम के आश्रमों में सैकड़ों महिलाओं ने शोषण की शिकायतें कीं, लेकिन भक्तों की भीड़ और राजनीतिक संरक्षण ने न्याय को लंबा इंतजार कराया। इसी तरह, गुरमीत राम रहीम – डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख – को 2017 में दो अनुयायियों के बलात्कार के लिए 20-20 साल की सजा मिली। मई 2024 में उन्हें एक हत्या मामले में बरी किया गया, लेकिन बलात्कार के मामलों में वे अभी भी जेल में सड़ रहे हैं। इन मामलों ने साबित किया कि ये 'बाबा' आस्था के नाम पर महिलाओं को 'चुंबन चिकित्सा' जैसे बहानों से फंसाते हैं, और विरोध करने पर धमकियां देते हैं। अन्य नाम जैसे नित्यानंद (जो 2019 से फरार हैं और बलात्कार के आरोपों में वांछित हैं) ने भी इसी पैटर्न को दोहराया। ये मामले न केवल यौन शोषण तक सीमित हैं, बल्कि हत्या, जबरन धर्मांतरण और आर्थिक ठगी तक फैले हुए हैं।
नए चेहरे, पुरानी साजिशें हाल के वर्षों में यह समस्या और गंभीर हो गई है। 2024 में डीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कई 'गॉडमेन' यौन शोषण से लेकर हत्या तक के आरोपों में फंसे हैं। ये लोग डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल कर भक्तों को लुभाते हैं, लेकिन पीछे की सच्चाई डरावनी है। 2025 में उत्तर प्रदेश का "छांगुर बाबा" मामला सबसे ताजा उदाहरण है। जुलाई में एटीएस ने एक अवैध धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया, जिसमें चंगूर बाबा ने सैकड़ों हिंदू महिलाओं को 'लव जिहाद' के जरिए फंसाया। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर चर्चाओं से पता चलता है कि इस रैकेट में महिलाओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर शोषण किया गया, और कई को विदेश तस्करी का शिकार बनाया। एक पोस्ट में इसे 'कौर टू खान कन्वर्जन' कहा गया, जो पंजाब और उत्तर भारत में फैला एक संगठित अपराध है कर्नाटक में 2025 में बच्चों पर यौन शोषण के मामले दोगुने हो गए, जिसमें कई 'धार्मिक गुरुओं' का हाथ है।बये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्टों से मेल खाते हैं, जहां धार्मिक स्थलों पर होने वाले अपराधों में 20% से अधिक वृद्धि दर्ज की गई। ये शोषण आस्था की कमजोरी पर पनपते हैं।ग्रामीण भारत में शिक्षा की कमी और सामाजिक दबाव महिलाओं को इनके जाल में फंसाते हैं। बाबा न केवल धार्मिक प्रचार करते हैं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण भी हासिल कर लेते हैं। "द वायर" की रिपोर्ट के मुताबिक ये फासीवादी नेताओं की तरह डर और प्रचार का इस्तेमाल करते हैं। महिलाओं का शोषण यहां आर्थिक भी है – दहेज, चंदा और 'दान' के नाम पर। संत रामपाल जैसे कुछ बाबा दहेज-मुक्त भारत का प्रचार तो करते हैं, लेकिन वास्तविकता अलग है। सबसे बड़ी बात है कि समाज में 'गुरु भक्ति' को चुनौती देना पाप माना जाता है, जिससे की भारत जैसे देश में पीड़िताएं चुप रह जाती हैं। ये मामले महिलाओं में डर पैदा करते हैं और न्याय प्रक्रिया को कमजोर। 2020 में साबरंग इंडिया ने सवाल उठाया था कि 'गॉडमेन' के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' का वादा कहां गया लेकिन आज भी, पीड़िताओं को ब्लैकमेल और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। एक्स पर एक चर्चा में कहा गया कि मीडिया को 'स्वामी' जैसे शब्दों काबइस्तेमाल बंद करना चाहिए, ताकि इन अपराधियों को वैधता न मिले।लेकिन इसके उलट देखनें पर पता चलता है कि बाबाओं का मुख्य पालन पोषणकर्ता तो नेता जी ही है। भारत को इन 'बाबाओं' के खिलाफ सख्त कानून बनाने होंगे – जैसे धार्मिक संस्थाओं पर निगरानी और तेज न्याय। शिक्षा और जागरूकता से महिलाएं मजबूत होंगी। याद रखें, सच्चा संत नैतिकता सिखाता है, शोषण नहीं। समाज को आस्था और विवेक के बीच संतुलन बनाना होगा, वरना ये काले अध्याय और लंबे खिंचते रहेंगे।
- इंद्र यादव - स्वतंत्र लेखक,भदोही ( यूपी )
indrayadavrti@gmail.com
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