न्यूज़ ऑफ इंडिया (एजेंसी) भदोही: 02 सितंबर 2025 यूपी के भदोही में डीघ ब्लॉक के अंर्तगत भरतपुर निवासी सोहन पटेल के द्वारा "...
यूपी के भदोही में डीघ ब्लॉक के अंर्तगत भरतपुर निवासी सोहन पटेल के द्वारा "कंपोजिट विद्यालय भरतपुर" में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत सीएम पोर्टल ( शिकायत नम्बर 40019825021320 ) पर शिकायत दर्ज करवाये थे। सोहन पटेल नें आरोप लगाया कि इस मामलें में प्रशासन के अधिकारियों द्वारा फर्जी रिपोर्ट सीएम पोर्टल पर लगा दिया जा रहा है । इस बार सोहन पटेल जी नें अपनी शिकायत सीधे राज्य के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी से की है ताकि उच्चतम जांच हो कर एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। समीक्षा बैठकों में उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि फर्जी या भ्रामक रिपोर्ट लगाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। 2024 में, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने भी निर्देश दिए कि प्रतिदिन पांच शिकायतों का रैंडम आधार पर सत्यापन किया जाएगा, और फर्जी निस्तारण पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। इसके अलावा, मिर्जापुर और आगरा में पुलिस द्वारा गलत फीडबैक प्रक्रिया को अपनाने पर मुख्यमंत्री ने पुलिस कप्तानों से एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब की थी।
जन शिकायत पोर्टल पर फर्जी रिपोर्ट का यह चलन न केवल नागरिकों के विश्वास को कम करता है, बल्कि सुशासन के लक्ष्य को भी कमजोर करता है। इसके कुछ प्रमुख परिणाम हैं:
नागरिकों में अविश्वास: जब शिकायतकर्ता को पता चलता है कि उनकी शिकायत का समाधान नहीं हुआ, बल्कि उसे फर्जी तरीके से निस्तारित दिखाया गया है, तो वे सरकार और प्रशासन के प्रति अविश्वास महसूस करते हैं। फर्जी निस्तारण की घटनाएं प्रशासन की विश्वसनीयता को कम करती हैं और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं। जिन शिकायतों का वास्तव में समाधान नहीं हुआ, उनके लिए शिकायतकर्ता को पुनः आवेदन करना पड़ता है, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती है। फर्जी रिपोर्ट भ्रष्टाचार को छिपाने का एक जरिया बन सकती हैं, क्योंकि वास्तविक समस्याओं को दबाया जाता है।इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं,जैसे कि कठोर निगरानी और जवाबदेही का तय होना व उच्च अधिकारियों को शिकायतों के निस्तारण की गुणवत्ता पर नजर रखनी चाहिए। फर्जी निस्तारण करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायतकर्ताओं को निस्तारण की गुणवत्ता पर प्रतिक्रिया देने की सुविधा को और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना होगा कि शिकायतकर्ता की सहमति के बिना शिकायत को बंद न किया जाए। आइजीआरएस पोर्टल में तकनीकी सुधार किए जाएं, जैसे कि निस्तारण की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिजिटल सत्यापन और रियल-टाइम ट्रैकिंग।नागरिकों को उनके अधिकारों और आइजीआरएस के उपयोग के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाएं, ताकि वे फर्जी निस्तारण के खिलाफ आवाज उठा सकें।
- इंद्र यादव,भदोही, indrayadavrti@gmail.com
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