सौरभ ओझा प्रतापगढ़ बहुत ही मशहूर कवियित्री रामगढिया, आरा बिहार की अनामिका अमिताभ गौरव जी ने एक लेख लिखा जिसे वो यह कहते हुए प्रद...
सौरभ ओझा
प्रतापगढ़ बहुत ही मशहूर कवियित्री रामगढिया, आरा बिहार की अनामिका अमिताभ गौरव जी ने एक लेख लिखा जिसे वो यह कहते हुए प्रदर्शित करती है की यह उनकी निजी राय है और इस पर किसी को कोई भी आपत्ति हो तो उसके लिए माफी चाहती हैं। आइए अनामिका जी का लेख पढते है--
बहुत छोटी थी तब से सुनते आ रही हूं कि
"शत्रु का शत्रु सबसे अच्छा मित्र होता है"
शायद चीन यह बात बहुत अच्छे से जानता है ।
मैं यहां भारत और चीन के पुराने रिश्ते या भारत और पाकिस्तान के पुराने रिश्ते पर कोई चर्चा नहीं करूंगी ।हां लेकिन यहां में एक बात जरूर बताना चाहूंगी कि चीन हमेशा से ही भारत को दुश्मन मानने वाले देश पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की लगातार कोशिश करता रहा है जिसमें से उसे थोड़ी बहुत कामयाबी भी मिली। इसका सबसे ताजा उदाहरण उस समय आया जब भारत ने पठानकोट हमले तथा देश में हुए अन्य कई और आतंकी हमलों के गुनाहगार जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश किया। भारत के इस प्रस्ताव पर 15 में से 14 देश विचार करने को तैयार थे लेकिन चीन इसके विरुद्ध खड़ा था । उसने भारत के इस प्रस्ताव के खिलाफ अपने वीटो का प्रयोग कर दिया ।उसने अपने वीटो का प्रयोग करके से निष्प्रभावी कर दिया और यही मौका था जब चीन का पाक प्रेम सबके सामने आया । तो सवाल यह उठता है कि पाक के साथ-साथ चीन का रवैया भी भारत के प्रति ऐसा क्यों बदल गया ? मेरे विचार से शायद इधर कुछ वर्षों में नई सरकार के गठन के बाद से ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय विदेश नीति को जिस तरह से साधा गया है उसने कहीं ना कहीं चीन को अंदर ही अंदर परेशानी में डाल दिया अपने दौरों से और अपनी नीति से प्रधानमंत्री मोदी ने इस कुछ वर्षों में विदेश नीति को एक नई ऊंचाई दी है। बहुत सारी बातें हैं जैसे भारत के दबाव में आकर श्रीलंका चीन को अपने यहां बंदरगाह बनाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया वहीं दूसरी तरफ भारतीय प्रधानमंत्री मॉरीशस के साथ अच्छी मित्रता । मैं ज्यादा प्रकाश नहीं डाल रही हूं क्योंकि बहुत सारी बातें हैं। हां लेकिन यह जरूर कहना चाहूंगी कि कहीं ना कहीं भारत कि इन्हीं सब कूटनीतिक सफलताओं से भीतर ही भीतर बौखलाए चीन की बौखलाहट इन दिनों पाकिस्तान पर हो रही भारी मेहरबानी के रूप में सामने आ रही है। अब शायद कहने की जरूरत नहीं है कि इन सब नीतियों के मूल में चीन का एक ही उद्देश्य है कि पाकिस्तान के जरिए भारत को दबाया जाए और परेशान किया जाए । क्योंकि हम सभी जानते हैं कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिस का रवैया भारत के साथ हमेशा ही खटासो से भरा रहा है। चीन ने इसी का फायदा उठाया। शायद चीन यह सोच रहा है कि पाकिस्तान की तरह ही वह सीमा पर तनाव बढ़ाकर और वुहान भावना का हवाला देकर वह भारत को अपने प्रति वैश्विक विमर्श से अलग होने के लिए बाध्य कर देगा पर शायद इस बार ऐसा नहीं होगा । हिमालय की सरहदों की रक्षा भारत के अकेली लड़ाई नहीं रह गई है । आज विश्व चीन की असलियत जान चुका है कि वह अपने वर्चस्व के लिए कुछ भी कर सकता है। शायद अब निरंकुशता की ओर बढ़ रहे चीनी शक्ति और पाकिस्तान को नियंत्रित करने की वैश्विक दायित्वों का निर्वहन आवश्यक हो गया है । हो सकता है कि मेरे विचार गलत हो पर चीन और पाकिस्तान के बदले रवैए से भारत में हो रहे प्रदर्शन भी एक हद तक सही है क्योंकि अब समय आ गया है कि हमे उन्हें जवाब देना चाहिए।
COMMENTS